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मात्र मनोरंजन का चीज ना होकर सामाजिक संघर्ष का जीवंत चित्र प्रस्तुत करती है प्रेमचंद की कहानियां : अरुण मोहन भारवि

न्यूज विजन । बक्सर
प्रेमचंद का नाम हिंदी कथा साहित्य का एक बहुत बड़ा नाम होने के साथ ही विश्व साहित्य की विभूति है। उनकी कहानियां पाठकों के मात्र मनोरंजन का चीज ना होकर समाज की गैर बराबरी शोषण और सामाजिक संघर्ष का जीवंत चित्र प्रस्तुत करती है उक्त बाते साहित्यकार डॉ और मोहन भारवि ने मुंशी प्रेमचंद की 127 वी जयंती पर आयोजित समारोह में कहा। कार्यक्रम भोजपुरी साहित्य मंडल के मंडल अध्यक्ष अनिल कुमार त्रिवेदी की अध्यक्षता में आर्या एकेडमी में आयोजित किया गया था। जिसका शुभारंभ अतिथियों ने कथा का मुंशी प्रेमचंद के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
अध्यक्षीय संबोधन में अनिल कुमार त्रिवेदी ने कहा कि प्रेमचंद जैसे महान साहित्यकार युगों युगों के बाद पैदा होते हैं जो अपनी रचनाओं से भाषा और शैली की चिन्मयाता और कथा शिल्पी जीवंता और अपनी युगीन समस्याओं से पाठकों को रूबरू करने के साथ ही उसके निराकरण का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं। जयंती समारोह में नीलम भारवी, स्वसित सौम्या, अमरिंदर दुबे, श्रीधर तिवारी, ईशान त्रिवेदी, रामाकांत तिवारी, अभिषेक वर्मा, कामरान खान, दिनेश राय, राजेश महाराज, सुधीर, राजहंस आदि मौजूद रहे।

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