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मन को कलेश रहित कर एक बार भक्ति भाव से स्तुति करने होता है समस्या का समाधान

सिय पिय मिलन महोत्सव में श्री राम कथा श्रवण को साधु-संतों व श्रद्धालुओं की जुट रही भीड़

न्यूज विजन। बक्सर

पूज्य संत श्री खाकी बाबा सरकार 56वां निर्वाण दिवस पर आयोजित नौ दिवसीय सिय-पिय मिलन महोत्सव से अध्यात्म गांव नया बाजार स्थित श्री सीताराम विवाह आश्रम में भक्ति के सागर में साधु-संत और श्रद्धालु गोता लगा रहे हैं। श्री अग्रमलूक पीठाधीश्वर जगद गुरू श्री राजेंद्र देवाचार्य जी महाराज के मुखारबिंद से हर दिन श्री राम कथा का रसपान कर रहे हैं। श्री राम कथा का श्रवण कर लोग धन्य हो जा रहे हैं। कथा के बीच में प्रसंग से संबद्ध संगीतमय भजन सुन झूमने लगते हैं। कथा सध्या साढ़े तीन बजे से हो रही है, लेकिन ढ़ाई बजे से ही श्री सीताराम विवाह आश्रम में सुध-संत और श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो जा रही है। शुक्रवार को महाराज जी ने श्री राम जन्म पर जब बधाई गीत गाएं तो पूरा पंडाल में भक्त भक्ति में लीन होकर नाचने लगे।

 

 

 

 

जगद गुरू राजेंद्र देवाचार्य जी ने कहा कि सत्संग प्रभु कृपा से प्राप्त हो रहा है। श्री राम कथा का संगीतमय परायण हो रहा है। इस उत्सव में हाजरी लगाना पूज्य मामा जी के चरणों में हाजरी लगाना है। उन्होंने कहा कि लीला के क्रम में श्री किशोरी जी की प्राकट्य है और श्री ठाकुर जी मिथिला में प्रवेश करेंगे। जगद गुरू राजेंद्र देवाचार्य जी ने कहा कि मन को कलेश रहित कर एक बार भक्ति भाव से स्तुति करेगा, एक बार प्रार्थना करेगा तो समस्या का समाधान हो जाएगा।

 

 

 

 

दशरथ जी ने गुरू को सर्वश्रेष्ठ मानकर पुत्र प्राप्ति की प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि दशरथ जी समान्य महापुरूष नहीं हैं। पुत्र प्राप्ति को लेकर गुरू विशिष्ठ जी ने यज्ञ कराएं। यज्ञ में देवताओं ने यज्ञेश्वर भगवान से प्रार्थना करते हैं। उन्होंने कहा कि रावण अत्याचार कर रहा है। रावण का शासन नहीं कर सकते। इस पर भगवान प्रसन्न हो जाते हैं। वे कहते हैं कि अवतार लेंगे, लेकिन मेरे माता-पिता कौन होगा। उन्हाेंने पिता के रूप में दशरथ जी को माता के रूप में कौशल्या का वरण किया। वे दशरथ जी के यहां अवतार लेते हैं। तब माता स्तुति कर कहती हैं कि आपको शिशु लीला करनी होगी। भगवान राम शिशु लीला का अभिनय करते हैं।

 

 

 

राजेंद्र देवाचार्य जी महाराज ने पूज्य मामा जी का स्मरण करते हुए कहा कि मामा जी रसमय विग्रह हैं। इस उत्सव में उदासीनता नहीं आनी चाहिए। महाराज जी नहीं है, ऐसी भावना किसी के मन में आ रहा है तो आपने पूज्य मामा जी समझा ही नहीं। वे कहते थे कि उत्सव की बगीया संतो के द्वारा लगाई गई है, इसको सिंचते रहना। उनके वचन का स्मरण कर हर साल सिय पिय मिलन महोत्सव में आते हैं। उन्हाेंने कहा कि इस उत्सव में सभी को आना चाहिए और

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