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मनु जी के वंशज होने के कारण ही हमलोग मनुष्य कहलाते हैं – अमर दास

प्रवचन करते महाराज जी
बक्सर। महतत्व से पृथ्वी का निमार्ण हुआ इसलिए पृथ्वी को मही भी कहते हैं, ब्रह्मा जी सृष्टि निर्माण के क्रम में अंडज (जिसका जन्म अंडे से हुआ है) स्वेदज (जिसका जन्म पसीने आदि से हुआ है) उद्भिज (पेड़-पौधे) पिंडज (गाय, हाथी) सभी जीवों को उत्पन्न किये लेकिन उनके अनुकूल नहीं होने से ब्रह्मा जी उदास थे लेकिन मन में विचार करते करते मन से ही मानवाकृति के रूप में मनु जी की उत्पत्ति हुई और मनु जी से ही सृष्टि के मनुष्य उत्पन्न हुए। उक्त बातें सदर प्रखंड के मझरिया गांव में स्वामी सत्यानंद जी के ब्रह्मलीन होने के उपलक्ष्य मे वनदेवी माता मंदिर के प्रांगण में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस में अयोध्या से आए हुए प्रसिद्ध कथा व्यास अमर दास जी महाराज ने कहा।
उन्होंने कथा के क्रम में कहा की मनु जी के वंशज होने के कारण ही हमलोग मनुष्य कहलाते हैं, अंग्रेजी में भी आदमी को मैन कहते हैं जो कि मनु का ही अपभ्रंश है। भगवान शिव की कथा सुनाते हुए महाराज जी ने कहा कि शंकर शब्द का अर्थ होता है शं करोति कल्याणं इति शंकर। अर्थात हम सभी जीवों के कल्याण के लिए ही विचार करें वो शंकर। भगवान शंकर को विश्वास का प्रतीक माना गया है ” भवानी शंकरौ वंदे श्रद्धा विश्वास रूपिणौ”। भगवान शिव से हमलोगों को विश्वास की शिक्षा मिलती है, कोई भी कार्य चाहें वह धर्म से संबंधित हो चाहे दैनिक जीवन से संबंधित हो विश्वास की आवश्यकता सभी जगह है। कथा में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया जिसमें श्रद्धालु श्रोता देर रात तक झूमते रहे रहे। इस अवसर पर कथा के मुख्य यजमान संजय सिंह एवं कथा आयोजक दिनेश सिंह, परमहंस सिंह, अमन कांत सिंह, सरोज सिंह, सुनील सिंह, अप्पू सिंह, सहित समस्त ग्रामवासी व्यवस्था में लगे रहे।

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