RELIGION

भारतवर्ष में मानव जन्म का सही उपयोग नहीं करते उन्हें 84 लाख योनियों का चक्कर लगाना पड़ता है : श्याम चरण दास 

सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम में श्रीमद भागवत कथा के आठवें दिन श्याम चरण दास ने भारत वर्ष की महिमा सुनाई 

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 

नगर के सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम नया बाजार में गुरु पूर्णिमा अवसर आश्रम के महंत पूज्य श्री राजाराम शरण जी महाराज के सानिध्य में चल रहे एकादश दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के आठवें दिन कथा व्यास संत कुल भूषण परम पूज्य श्री नारायण दास भक्तमाली मामाजी महाराज के शिष्य एवं गृहस्थ आश्रम के पौत्र श्याम चरण दास जी के द्वारा संगीतमय कथा सुनाई गयी।

 

कथा सुनाते हुए  श्याम चरण दास ने कहा की  भारत वासियों की बधाई तो देवता लोग भी करते हैं उनके भाग्य की सराहना करते हैं आहो आश्चर्य है भारतवर्ष में जिन्होंने जन्म पाया है और मनुष्य शरीर पाया है क्यों देवताओं तुम भारतवर्ष के मनुष्यों की इतनी बधाई क्यों कर रहे हो मुकुंद जो भगवान है ज्ञान मार्ग में तो कहते हैं मुक्तिम ददाति स मुकुंद: और सगुण साकार वाले भक्तों के यहां मुकुंद का अर्थ जिसके मुख मंडल पर नव विकसित कुंद पुष्प के समान हास्य स्वत: प्रस्फुटित होता रहता है ऐसे मुकुंद भगवान की सेवा का उपकरण मिला है। देवराज इंद्र हाय हाय करते हैं हम स्वर्ग के देवता क्यों बने अगर हम भारत में गिद्ध (जटायु) बन गए होते तो आज परमानंद सच्चिदानंद प्रभु की गोद में होते। भारतवर्ष में लोग प्रभु की भक्ति करते हैं अब कहते हैं किसी कारणवश एक जगह से उजड़ गए और दूसरी जगह बसने की सोचते हैं तो कैसी जगह खोजनी चाहिए जहां यातायात का साधन हो सब तरह की सुविधा हो वह तो हो ही लेकिन सबसे पहले यह सुविधा देखें जहां भागवत कथा की अमृतमई सरिता बहती रहती रहे।

 

जहां भगवत भक्त महात्माओं का निवास होता है जहां रामनवमी जन्माष्टमी आदि महोत्सव मनाया जाते हैं जहां संतो को भक्तों का समागम सुलभ रहता है अगर ऐसी सुविधा जहां नहीं हो वह देवराज इंद्र का स्वर्ग भी हो तो वहां रहने की मत सोचो उसको ठोकर मार दो इसलिए ऐसी जगह खोजो जहां सत्संग मिलती रहे भगवान के महोत्सव होते रहते हैं जहां कथा सुधा का पान करने का शुभ अवसर मिलता है। भारतवर्ष जैसे पवित्र स्थान पर मनुष्य शरीर पाकर भी जो संसारी विषय प्रपंचों में उलझा रह जाता है। उसको यदि यमराज के यहां जाना पड़े तो यमराज पूछते हैं कहां से पधारे बोले भारतवर्ष से आपको भारत वर्ष में जन्म मिला जिह्वा आपके वश में थी आंख कान नाक भी सही थे पाव भी सही थे फिर भी अपने संतो की सत्संग नहीं की महात्माओं की सेवा नहीं की पांव से तीर्थ में नहीं गए और आपको मेरे यहां नर्क में आना पड़ा इससे बड़ा आश्चर्य और क्या हो सकता है और दुर्भाग्य क्या हो सकता है भारतवर्ष में मानव जन्म प्रकार के इसका सही उपयोग नहीं करके अपने कल्याण का यत्न नहीं करते वे फिर 84 लाख का चक्कर लगाते हैं।

 

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