भागवत कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है : रणधीर ओझा




न्यूज विजन । बक्सर
एक बार श्रीकृष्ण अपने मित्रों के साथ यमुना नदी के किनारे गेंद से खेल रहे थे। तभी अचानक गेंद यमुना नदी में चली गई और बाल गोपाल के सारे मित्रों ने मिलकर उन्हें नदी से गेंद लाने को भेज दिया। बाल गोपाल भी एकदम से कदंब के पेड़ पर चढ़कर यमुना में कूद गए वहां उन्हें कालिया नाग मिला। श्री कृष्ण ने जहरीले कालिया नाग का वध कर दिया। उक्त बातें शनिवार को शहर के रामरेखा घाट स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर में विकास सिद्धाश्रम सेवा समिति द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन ममाजी के कृपा पात्र आचार्य श्रणधीर ओझा ने कहा।
अचार्य श्री ने आगे कालिया नाग के बारे में कहा कि कालिया नाग का वध श्रीकृष्ण की प्रचलित बाल लीलाओं में से एक है। वही उन्होंने गोवर्धन पर्वत की कहानी सुनाते हुए कहा कि इस कहानी से भी हर कोई परिचित है जो कि उनकी प्रचलित कथाओ में से एक है। कार्तिक मास में ब्रजवासी भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए पूजन का कार्यक्रम करने की तैयारी करते हैं। भगवान कृष्ण द्वारा उनको भगवान इंद्र की पूजन करने से मना करते हुए गोवर्धन महाराज की पूजन करने की बात कहते हैं। इंद्र भगवान उन बातों को सुनकर क्रोधित हो जाते हैं वह अपने क्रोध से भारी वर्षा करते हैं जिसको देखकर समस्त ब्रजवासी परेशान हो जाते हैं। भारी वर्षा को देख भगवान श्रीकृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठाकर पूरे नगर वासियों को पर्वत के नीचे बुला लेते हैं। जिससे हारकर इंद्र एक सप्ताह के बाद बारिश को बंद कर देते हैं। जिसके बाद ब्रज में भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन महाराज के जयकारे लगने लगते हैं। इस प्रसंग के माध्यम से भगवान कृष्ण प्रकृति का संरक्षण संवर्धन एवं प्रकृति से जुड़ने का संदेश देते हैं।








आचार्य श्री ने आगे कहा कि भागवत कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है कलयुग की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि कलयुग में मनुष्य को पुण्य तो सिद्ध होते हैं, परंतु मानस पाप नहीं होते। कलयुग में हरी नाम से ही जीव का कल्याण हो जाता है। कलयुग में ईश्वर का नाम ही काफी है। सच्चे हृदय से हरि नाम के स्मरण मात्र से कल्याण संभव है। कथा के दौरान समिति के सचिव रामस्वरूप अग्रवाल एवं सत्यदेव प्रसाद के अलावा अन्य लोग मौजूद रहे।

