RELIGION

भव्य शोभायात्रा के साथ 15 वा लक्ष्मीनारायण यज्ञ सह श्रीमद भागवत कथा का शुभारंभ

न्यूज विजन | बक्सर
सर्व जन कल्याण सेवा समिति द्वारा शहर के रामेश्वर नाथ मंदिर में 15 वा श्रीमद् भागवत कथा सह श्री लक्ष्मीनारायण यज्ञ की शोभायात्रा रविवार को सुबह 7 बजे रामेश्वर नाथ मंदिर से निकली जो पीपी रोड, पुराना अस्पताल होते हुए मेन रोड, नगर परिषद, मॉडल थाना होते हुए रामरेखा घाट पहुंच विधि विधान से पूजन कर जल भरकर सभी श्रद्धालुओं ने रामेश्वर नाथ मंदिर में स्थित कैलाश यज्ञ मंडप में परिक्रमा कर कलश की स्थापना की। इस दौरान अरुण मिश्रा, हिमांशु चतुर्वेदी, निक्कू तिवारी, प्रकाश पांडेय, छोटे उपाध्याय, श्रवण तिवारी समेत सैकड़ों लोग शामिल रहे।

शोभायात्रा में शमिल महिलाए

शोभायात्रा में गाजा बाजा एवं हरिनाम संकीर्तन के साथ हजारों नर नारियों ने भाग लिया। स्त्रियां ताम्र एवं पीतल का कलश तथा आचार्य पौराणिक जी महाराज श्रीमद्भागवत महापुराण ग्रंथ मस्तक पर लेकर चल रहे थे। भक्ति भाव में सराबोर यात्रा संपूर्ण शहर को भक्ति की लहर में आनंद करती हुई आगे बढ़ रही थी। तत्पश्चात संध्या में व्यासपीठ पूजन एवं संत विद्वत पूजन के साथ श्रीमद्भागवत महात्मा की कथा प्रारंभ करते हुए आचार्य कृष्णानंद शास्त्री पौराणिक जी ने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण अलौकिक मनी के समान है जो पुरुषार्थ चतुष्टय के साथ में सब कुछ देने में समर्थ है। यह महान ग्रंथ भगवान का स्वरूप होने के कारण भगवत मूर्ति यानी भगवान की प्रतिमा है।
उन्होंने ने कहा कि मानवता के निर्माण में भागवत का सर्वश्रेष्ठ योगदान है इसका मुख्य कारण है कि भागवत संसार के समस्त ग्रंथों का सारांश है। वेद, पुराण, उपनिषद एवं आध्यात्मिक ग्रंथों का मुख्य अंश होने के कारण इसके श्रवण मात्र से सभी ग्रंथों के श्रवण करने का लाभ भी प्राप्त हो जाता है। यही मुख्य कारण है कि भागवत को एक स्वर से सभी ने सर्वोत्तम आध्यात्मिक ग्रंथ स्वीकार किया है। यद्यपि भागवत संसार के सभी पदार्थों को देने में समर्थ है और प्रमाणिक भी है किंतु इसकी सर्वाधिक सिद्धि जीवो की मुक्ति में है। यह पापी से महापापी एवं पातकी से महापातकी को भी मात्र श्रद्धा भक्ति से श्रवण करने पर मुक्ति कर देता है। महान आश्चर्य की बात है कि यह ग्रंथ 7 दिनों में ही प्रत्यक्ष मुक्ति प्रदान कर देता है। धुंधकारी, प्रेत एवं परीक्षित जी इसके प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। भागवत के जन्म के संबंध में भी एक अलौकिक दृष्टि मिलती है। विस्मय तो तब हुआ जब दुर्योधन मर गया और कुरु वंश को आगे बढ़ाने वाले परम भागवत परीक्षित जी का जन्म हुआ। परीक्षित जी के माध्यम से संपूर्ण संसार को भागवत महापुराण की प्राप्ति हुई। परम भागवत परीक्षित जी भागवत महापुराण के माध्यम से संसार के सभी मानव को पुरुषार्थ चतुष्टय की प्राप्ति करा कर मानवता का सर्वाधिक मार्ग प्रशस्त करके जीव मात्र पर परम कल्याण कर रहे हैं, आज भी उसी तरह प्रासंगिक हैं जिस तरह भागवत महापुराण है।

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