भगवान श्रीकृष्ण गोपियों के घर जाकर मक्खन लेते थे जो चोरी ना होकर एक लीला थी : आचार्य रणधीर ओझा
शहर के शिक्षक कालोनी स्थित मनोकामना सिद्ध महावीर मंदिर में पांचवे दिन हुई भागवत कथा




न्यूज विजन । बक्सर
भगवान की माखन चोरी का रहस्य जो नहीं जानते हैं वे भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला को आदर्शों के विपरीत बताते हैं। ऐसे लोगों के लिए यह जानना बेहद आवश्यक है की चोरी शब्द का अर्थ और उसकी परिभाषा क्या है ? जब किसी दूसरे की किसी वस्तु को उसकी इच्छा के विपरीत अथवा उसकी जानकारी में आए बिना ले ली जाए वो चोरी की श्रेणी में आता है। परंतु भगवान श्रीकृष्ण गोपियों के घर से उनकी जानकारी में मक्खन लेते थे जो चोरी ना होकर एक लीला थी। उक्त बातें कथा वाचक आचार्य रणधीर ओझा ने शहर के आईटीआई मैदान के समीप मनोकामना सिद्ध महावीर मंदिर में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन कही।
उन्होंने कहा कि इस पूरे संसार में जो कुछ भी है वो सब भगवान का ही है भगवान श्रीकृष्ण गोकुल में ब्रज वासियों की खुशी के लिए आए थे। मक्खन तो नंद बाबा के घर में ही पूरे गोकुल वासियों से भी अधिक रहता था परंतु श्री कृष्ण केवल नंद बाबा के नहीं होकर पूरे गोकुल वासियों के थे। जिसके तहत वह सबको खुशियां देने के लिए ही ऐसी लीलाएं करते थे। गोपियों की खुशी के लिए ही कृष्ण उनके घर जाकर माखन की चोरी करते थे जो की चोरी नहीं बल्कि भगवान की एक लीला थी इस अवसर पर कथा श्रवण को हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं पहुंचे थे जो अंत तक भाव पूर्वक कथा का आनंद लेते रहे। भगवान की कृपा की चर्चा करते हुए शुक्रवार को आचार्य श्री ने बताया कि परमात्मा की कृपा तो हर पल और हर घड़ी बरसती रहती है। जरूरत है कि सिर्फ उसके लायक और पात्र बनने की। और इसकी पात्रता बिना सत्संग के कभी प्राप्त नहीं हो सकती। इसका उदाहरण देते हुए बताया कि यह उपलब्धि बड़े-बड़े संत और महात्मा को नहीं प्राप्त हुई पर भगवान को हजारों गालियां देने वाले कंस और शिशुपाल को सहज रूप से मिल गई। इसलिए यह कहा जाता है कि ईश्वर सब पर समान रूप से कृपा करते हैं। कथा श्रवण को हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी बनी रही। आचार्य श्री ने भजनों के द्वारा सभी को भक्ति प्रबाह में बहाने को बाध्य कर दिया।

