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तेजाब से हमला, दुष्कर्म, शारीरिक शोषण, यौन हमला व अन्य मामलों में बिहार पीड़ित प्रतीकर योजना के तहत मिलेगा न्याय

बिहार पीड़ित प्रतीकर योजना एवं उसके अद्यतन संशोधित पर विशेष संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित 

न्यूज़ विज़न।  बक्सर

बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार, पटना के निर्देशानुसार व्यवहार न्यायालय स्थित जिला विधिक सेवा प्राधिकार, कार्यालय विधिक सेवा सदन में शुक्रवार को एक सेंसिटाईजेशन / संवेदी करन कार्यक्रम बिहार पीड़ित प्रतीकर योजना – 2014 एवं उसके अद्यतन संशोधित प्रतीकर योजना पर एक विशेष  संवेदीकरण  कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसका शुभारम्भ  जिला एवं सत्र न्यायाधीश -सह- अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार आनंद नंदन सिंह, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, बिजेंद्र कुमार, अवर न्यायाधीश -सह- सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, नेहा दयाल एवं उपस्थित अन्य न्यायाधीशों ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की। मंच का संचालन विधिक सहायता प्रतिरक्षा प्रणाली, बक्सर के चीफ बिनय कुमार सिन्हा ने की।

 

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए विनय कुमार सिन्हा ने कहा कि मैं आप सभी को इस सम्वेदीकरण कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लेने, अपने प्रश्न पूछने और अपने अनुभव साझा करने का आग्रह करता हूंl हम सभी आज यहाँ यह सुनिश्चित करने के लिए बैठे हैं, कि हम सभी एक छत के नीचे मिलकर यह कार्य करें कि, बिहार पीड़ित प्रतिकर योजना 2014 को प्रभावी ढंग से कैसे पुरे जिले में लागू किया जाए, इसके लाभ पाने वाले लोगों की पहचान छिपाकर कैसे उन्हें हम लाभन्वित कर पाएं, जिससे की हम उन लोगों को  सांत्वना और अपनी सहायता दे सके जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अमित कुमार ने कहा कि इस योजना का लाभ पाने के लिए विहित प्रपत्र में आवेदन देना अनिवार्य होगा। इसके तहत पीड़ित आवेदक या उसके आश्रित का नाम, घटना के दिन पीड़ित की आयु, पिता, माता व पति या पिता का नाम, घटना की तिथि व समय, क्या प्राथमिकी दर्ज हुई है, मेडिकल रिपोर्ट, आदि का विवरण देना होगा। जिसके बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित क्रिमिनल इंज्यूरी कंपन्शेसन बोर्ड इस मामले की अपने स्तर पर जांच कराएगी। जांच रिपोर्ट के आधार पर सहायता राशि का अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

अवर न्यायाधीश सह सचिव  जिला प्राधिकार, बक्सर नेहा दयाल ने कहा कि सहायता राशि के रूप में तेजाब से हमला में चेहरा विकृत होने, तेजाब हमला में 50 प्रतिशत या इससे कम जख्म, दुष्कर्म, अल्पव्यस्क कर शारीरिक शोषण, यौन हमला, मानव व्यापार, मृत्यु, स्थाई विकलांगता, आंशिक विकलांगता, जलने से 25 प्रतिशत से अधिक की शारीरिक क्षति के मामलों में इस योजना का लाभ पीड़ित को मिल सकेगा। पीड़ित व्यक्ति जो मुआवजे के लिए पात्र होगा, जिसे अधिनियम की धारा 357-ए की उपधारा (2) और (3) के तहत न्यायालय द्वारा सिफारिश की जाती है, या अपराधी का पता नहीं लगाया जाता है या उसकी पहचान नहीं की जाती है, और जहां कोई सुनवाई नहीं होती है, ऐसा पीड़ित अधिनियम की धारा 357-ए की उपधारा (4) के तहत मुआवजे के अनुदान के लिए भी आवेदन कर सकता हैl पीड़ित/दावेदार को घटना के 48 घंटे के भीतर पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी या क्षेत्र के किसी न्यायिक मजिस्ट्रेट को अपराध की सूचना देनी होगी। बशर्ते कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, यदि संतुष्ट हो, तो लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों से, रिपोर्ट करने में देरी को माफ कर सकता है। अपराधी का पता लगा लिया गया है या उसकी पहचान कर ली गई है और जहां मुकदमा चल चुका है, पीड़ित/दावेदार ने मामले की जांच और मुकदमे के दौरान पुलिस और अभियोजन पक्ष के साथ सहयोग किया हैl वह अपराध जिसके लिए इस योजना के अंतर्गत मुआवजा दिया जाना था, बिहार राज्य के अधिकार क्षेत्र में घटित हुआ है।

डिप्टी चीफ आईएडीसीए संजय कुमार चौबे ने कहा कि मुआवजा देने की प्रक्रिया यह है कि जब कभी न्यायालय द्वारा अधिनियम की धारा 357-ए की उपधारा (2) के अंतर्गत अनुशंसा की जाती है या किसी पीड़ित या उसके आश्रित द्वारा अधिनियम की धारा 3570- A जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को आवेदन किया जाता है, तो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मामले की जांच करेगा और पीड़ित को हुई हानि या चोट तथा रिपोर्ट की गई आपराधिक गतिविधि से उत्पन्न होने वाले दावे की विषय-वस्तु का सत्यापन करेगा और दावे की वास्तविकता निर्धारित करने के लिए आवश्यक कोई अन्य सुसंगत जानकारी मांग सकता है। दावे का सत्यापन करने और समुचित जांच करने के पश्चात जिला विधिक सेवा प्राधिकरण इस योजना के प्रावधानों के अनुसार दो महीने के भीतर मुआवजा प्रदान करेगा, परन्तु तेजाब हमले की पीड़िता को घटना की सूचना मिलने के पन्द्रह दिनों के अन्दर 1,00,000/- (एक लाख रुपये) का भुगतान किया जाएगा तथा शेष 2,00,000/-(दो लाख रुपये) का भुगतान उपरोक्त भुगतान से दो माह के अन्दर किया जाएगा। शेष क्षतिपूर्ति राशि, यदि कोई हो, द्वितीय किस्त के भुगतान की तिथि से 3 माह के अन्दर भुगतान की जाएगी।

जिले का जिला आपराधिक क्षति प्रतिपूर्ति बोर्ड हानि या चोट, दावे/दावेदार की पात्रता, मुआवजे की मात्रा तथा घटना की सूचना देने या दावा दाखिल करने में विलम्ब की क्षमा के संबंध में दावों की जांच और सत्यापन करेगा और इसकी अनुशंसा पर अध्यक्ष, डीएलएसए मुआवजे के दावे/भुगतान के बारे में आदेश पारित करेगा। मुआवजे की मात्रा पीड़ित को हुई हानि, उपचार में होने वाले चिकित्सा व्यय और पुनर्वास के लिए आवश्यक न्यूनतम भरण-पोषण राशि को ध्यान में रखते हुए तय की जाएगीl मोटर वाहन अधिनियम, 1988 (1988 का 59) के अंतर्गत आने वाले मामले, जिनमें मुआवजा मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा दिया जाना है, इस योजना के अंतर्गत शामिल नहीं होंगे।

सीमा अधिनियम की धारा 357-ए की उपधारा (4) के अंतर्गत पीड़ित या उसके आश्रितों द्वारा किए गए किसी भी दावे पर अपराध के छह माह की अवधि के पश्चात विचार नहीं किया जाएगा। एसिड अटैक के ऐसे मामलों में जहां पीड़ित लड़की/महिला है, जिसने अपनी दृष्टि 80% या उससे अधिक खो दी है या उसका चेहरा हमेशा के लिए खराब हो गया है, और बलात्कार के ऐसे मामलों में जहां पीड़ित अंधी है या किसी अन्य तरह से विकलांग है और एकमुश्त राशि का प्रबंध करने की स्थिति में नहीं है, वहां एकमुश्त राशि के बजाय, जिला आपराधिक क्षति प्रतिपूर्ति बोर्ड पीड़ित के जीवनकाल के लिए या किसी अन्य अवधि के लिए, जिसे वह उचित समझे, प्रति माह 10,000/- रुपये से अधिक नहीं की एक निश्चित राशि के मुआवजे के रूप में भुगतान की सिफारिश कर सकता है। मौके पर सभी न्यायिक पदाधिकारी, पैनल अधिवक्ता एवं पारा विधिक स्वयं सेवक कविंद्र पाठक, अविनाश, अंजुम, अरविंद, सोनु आदि मौजूद रहें l

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