खुले हृदय से वनवासी चित्रकूट में सेवा कर रहे हैं उससे राम प्रेम और रामभक्ति दर्शाता है : भारत भूषण




न्यूज विजन । बक्सर
राजधानी अयोध्या के राजमहल को छोड़कर संतों भक्तों और ऋषि मुनियों का दर्शन करने वन में चले गए। वनवासी लोगों, केवट, कोल – भिल्लों तथा वन के पशु-पक्षियों के साथ सहज आत्मीयता का दर्शन भगवान श्रीराम के वनवास में दिख रहा है। अयोध्या, मिथिला के पुरवासियों की जिस प्रकार खुले हृदय से वनवासी चित्रकूट में सेवा कर रहे हैं उससे राम प्रेम और रामभक्ति का अद्भुत दृश्य उपस्थापित हो रहा है। उक्त बाते शहर सिद्धाश्रम रामरेखा घाट स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा के आठवें दिन प्रवचन करते हुए प्रख्यात भागवत-वक्ता आचार्य डॉ भारतभूषण जी महाराज ने कहा।
आचार्य श्री ने कहा कि पुरवासियों को वनवासियों के व्यवहार से सुखद आश्चर्य हो रहा है। किंतु वनवासियों का शील व उनकी विनम्रता है। वे कहते हैं कि यह रघुनंदन दरस प्रभाउ – यह सारी सेवा और विनम्रता राघवेन्द्र के दर्शन का ही फल है। प्राणी मात्र के परम प्रेम और उनकी सहज एकता – एकात्मकता की आधारशिला तथा प्रेरणा है । कथा के दौरान मुख्य यजमान कमलेश्वर तिवारी, सचिव रामस्वरूप अग्रवाल, प्रभंजन भारद्वाज आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया।

