प्रोबेशन कार्यों में गतिशीलता एवं उत्कृष्टता प्रदान करने हेतु कार्यशाला आयोजित
अपराधियों का समाजीकरण और अपराध से दूर रखना है लक्ष्य




न्यूज़ विज़न। बक्सर
सचिव -सह- महानिरीक्षक कारा एवं सुधार सेवाएं, पटना बिहार के निर्देशानुसार बिहार राज्य में प्रोबेशन ऑफ ऑफेंडर्स एक्ट 1958 के विविध प्रावधानो को जनसाधारण के मध्य प्रचार – प्रसार एवं प्रोबेशन कार्यों में गतिशीलता एवं उत्कृष्टता प्रदान करने हेतु राज्य के प्रत्येक प्रोबेशन कार्यालय के प्रधान द्वारा जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में न्यायिक पदाधिकारीयों एवं प्रोबेशन पदाधिकारीयों के मध्य प्रोबेशन संबंधीत विविध कार्यों में समन्वय तथा एक्ट के विविध प्रावधानो का सामान्य जनों के मध्य प्रचार -प्रसार, जागरूकता लाने के उद्देश्य से जिला एवं सत्र न्यायाधीश आनंद नंदन सिंह की अध्यक्षता में व्यवहार न्यायालय जिला विधिक सेवा प्राधिकार कार्यालय भवन में एक कार्यशाला का आयोजित किया गया।








जिला विधिक सेवा प्राधिकार कार्यालय में आयोजित कार्यशाला में उप विकास आयुक्त डॉ महेंद्र पाल उपनिदेशक प्रोबेशन, पूनम रानी एवं मंच पर उपस्थित पदाधिकारियों ने दीप प्रज्वलन कर कार्यशाला की शुरुआत की। इस अवसर पर मंच का संचालन श्रेया सुमन, प्रोबेशन पदाधिकारी ने किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में उप निदेशक प्रोबेशन ने कहां की प्रोबेशन ऑफ ऑफेंडर्स एक्ट 1958 भारतीय संसद द्वारा 16 मई 1958 को पारित किया गया था एवं 9 जून 1958 को उसे अधिसूचित किया गया। इस अधिनियम को लागू करने से संबंधी “प्रवेश आफ ऑफेंडर्स रूल्स” 15 जून 1958 को इस राज्य में प्रवेश हुआ। इस अधिनियम के अंतर्गत कोई व्यक्ति जो प्रथम अपराध करता है अथवा जिससे गैर- इरादतन छोटे-छोटे अपराध हो जाते हैं, उसे न्यायालय द्वारा दोषी पाए जाने के बावजूद भी अच्छे चाल- चलन एवं अच्छे व्यवहार की शर्त पर इस एक्ट की विभिन्न धाराओं का लाभ देखकर भी रिहा कर दिया जाता है। इस अधिनियम का लाभ वैसे व्यक्तियों को भी न्यायालय के माध्यम से दिया जाता है जिसका यह प्रथम अपराध हो तथा जिसकी आपराधिक पृष्ठभूमि ना हो एवं पूर्व चरण अच्छा रहा हो। जिस व्यक्ति का मुकदमा स्थानीय न्यायालय में चल रहा हो वह अपने अधिवक्ता के माध्यम से संबंधित न्यायालय में अनुरोध कर सकता है। केंद्रीय कारा के मुख्य गेट पर कार्यक्रम के पश्चात जनसाधारण के बीच जागरूकता हेतु एक शिलापट्ट भी लगाया गया है।
इस अवसर पर उप विकास आयुक्त डॉ महेंद्र पाल ने कहां की न्यायालय द्वारा ऑफेंडर्स अधिनियम के विभिन्न धाराओं के अंतर्गत मुक्त होने के उपरांत स्वतंत्र रूप से पढ़ लिख सकता है नौकरी कर सकता है। अपना व्यवसाय एवं कृषि भी कर सकता है। इस अधिनियम से मुक्त व्यक्तियों को पुनर्वास का भी प्रावधान है। इस अधिनियम का लाभ गरीब एवं कमजोर वर्ग के साथ-साथ सभी वर्गों के व्यक्ति समान रूप से नि:शुल्क प्राप्त कर सकते हैं। हमें इस मंच से इस अधिनियम के प्रति आम जनता के बीच जागरूकता फैलाना है। लोगों को इसके प्रति जागरूक कर एवं इसकी जानकारी देने की आवश्यकता है। लोगों को इस नियम से होने वाले फायदे के बारे में बताना है। अपने संबोधन में जिला एवं सत्र न्यायाधीश आनंद नंदन सिंह ने कहा कि इस अधिनियम के आने से इस एक्ट के अंतर्गत मुक्त व्यक्तियों को पुनर्वास का भी प्रावधान है। जिसका लाभ गरीब एवं कमजोर वर्ग के साथ-साथ सभी वर्गों के व्यक्ति समान रूप से नि:शुल्क प्राप्त कर सकते हैं। मृत्यु दंड, आजीवन कारावास में इस अधिनियम का लाभ देने का प्रावधान नहीं है।
इस अधिनियम के संचालन हेतु बिहार राज्य के प्रत्येक प्रमंडल, जिला अनुमंडल में प्रोबेशन कार्यालय कार्यरत है। जिसमें उपनिदेशक, प्रधान प्रोबेशन पदाधिकारी, एव प्रोवेशन पदाधिकारी कार्यरत हैं। जिसकी सहायता हम लोग पा सकते हैं इसकी विस्तृत जानकारी हेतु आप जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, प्रोबेशन पदाधिकारी, अभियोजन पदाधिकारी, के कार्यालय से भी संपर्क कर इस अधिनियम के लाभ पा सकते हैं। इस अधिनियम के अंतर्गत कोई व्यक्ति जो प्रथम अपराध करता है अथवा जिससे गैर इरादतन छोटे-छोटे अपराध हो जाते हैं। उसे माननीय न्यायालय द्वारा दोषी पाए जाने के बावजूद भी अच्छे चाल -चलन एवं अच्छे व्यवहार की शर्त पर एक्ट की विभिन्न धाराओं का लाभ देकर मुक्त किया जा सकता है । मौके पर उपनिदेशक (प्रोबेशन) पूनम रानी, प्रोबेशन पदाधिकारी, सुल्ताना फिरदौस, दीपिका मिश्रा श्रेया सुमन, निम्न वर्गीय लिपिक सुधीर कुमार दुबे, कार्यालय परिचारी विवेक कुमार, डाटा एंट्री ऑपरेटर राजेंद्र कुमार एवं कार्यालय के सभी कर्मचारी उपस्थित रहें।

