रेडिएंट पब्लिक स्कूल की दोनों शाखाओं में योग दिवस पर विशेष योग शिविर आयोजित
शिक्षकों ने लिया नियमित योग का संकल्प




न्यूज़ विज़न। बक्सर
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर बक्सर स्थित रेडियंट पब्लिक स्कूल की चरित्रवन और लाढोपुर (दानी कुटिया) शाखाओं में शुक्रवार को योग कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर विद्यालय के सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं ने एकत्र होकर सामूहिक योगाभ्यास किया और योग के महत्व पर चर्चा की। कार्यक्रम की शुरुआत प्रातः योग आसनों से हुई जिसमें सभी उपस्थित शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। योगाभ्यास के दौरान शरीर और मन को स्वस्थ रखने वाली विभिन्न क्रियाएं सिखाई गईं। कार्यक्रम का उद्देश्य केवल योगाभ्यास तक सीमित नहीं रहा, बल्कि शिक्षकों द्वारा योग के वैज्ञानिक और व्यावहारिक लाभों पर भी चर्चा की गई।






विद्यालय के निदेशक पारसनाथ सिंह ने कहा, “आज के बदलते दौर में जहां खानपान और जीवनशैली असंतुलित हो चुकी है, ऐसे समय में योग जीवन को संतुलन और स्थिरता प्रदान करता है। योग अब किसी विकल्प का नाम नहीं, बल्कि यह जीवन का अनिवार्य अंग बन चुका है।” प्रधानाध्यापक जय प्रकाश सिंह ने योग को ‘हर रोज की समस्याओं का समाधान’ बताते हुए कहा कि यह मानसिक शांति, अनुशासन और सकारात्मक सोच का आधार है। उन्होंने घोषणा की कि ग्रीष्मावकाश के बाद जब विद्यालय पुनः खुलेगा, तब छात्रों को भी योग के महत्व को समझाते हुए नियमित योगाभ्यास के लिए प्रेरित किया जाएगा। ब्रांच हेड श्यामली सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा, “स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है, और इस धन को बढ़ाने का एकमात्र प्रभावशाली उपाय योग ही है। योग न केवल शरीर को लचीला बनाता है, बल्कि मन को स्थिर और आत्मा को शांत करता है।”

इस अवसर पर विद्यालय के निम्नलिखित शिक्षक-शिक्षिकाएं विशेष रूप से उपस्थित रहे:
रघुनाथ शर्मा, प्रभाकर मिश्र, श्रीराम सिंह , विभा सिंह, प्रतिक्षा कुमारी, संतोष शुक्ला, शंभु कुमार, सोनी तिवारी, नितीश कुमार, मनमोहन तिवारी, रीता सिंह, संतोष कुमार, पलक कुमारी, डीपी तिवारी, नवनीत कुमार, कुनाल कुमार, संतोष तिवारी, रेखा तिवारी, अनुराधा कुमारी, विशाल कुमार, शिवांगी कुमारी, आस्था कुमारी, मनीष कुमार, पुनीत कुमार और उजाला कुमारी आदि।
बहरहाल इस आयोजन ने योग के प्रति विद्यालय के शिक्षकों की जागरूकता और प्रतिबद्धता को दर्शाया। यह केवल एक दिन का कार्यक्रम नहीं था, बल्कि जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक प्रेरक पहल थी। सभी शिक्षकों ने यह संकल्प लिया कि वे न केवल स्वयं नियमित रूप से योग करेंगे, बल्कि अपने विद्यार्थियों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे ताकि भावी पीढ़ी न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत बन सके। इस कार्यक्रम ने यह सिद्ध किया कि योग केवल व्यायाम नहीं, बल्कि यह जीवन जीने की एक कला है—एक ऐसा मार्ग जो व्यक्ति को संतुलित, अनुशासित और सशक्त बनाता है।

