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पारस प्रसाद भ्रमर की श्रद्धांजलि सभा सह पुस्तक विमोचन का हुआ आयोजन 

भ्रमर जी की  कृतियों में सहज मानवीय संवेदनाओं की गहरी पकड़ दिखाई देती है जो समाज को नई दिशा देने में काम करती हैं : भारवि 

 

न्यूज़ विज़न।  बक्सर

जिले के बहुत चर्चित साहित्यकार स्वर्गीय पारस प्रसाद भ्रमर की पुस्तकों का लोकार्पण सह श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन भोजपुरी साहित्य मंडल की द्वारा शुक्रवार को पाल नगर सोहनीपट्टी में किया गया। जिसकी अध्यक्षता मंडल अध्यक्ष अनिल कुमार त्रिवेदी और संचालन वरीय साहित्यकार रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ दिवंगत साहित्यकार भ्रमर जी के तैलचित्र के अनावरण और उसपर माल्यार्पण के साथ हुआ। तत्पश्चात भ्रमर जी की तीन पुस्तक गीत गंगा, कुसुम वाटिका तथा यादों के घेरे में नामक काव्य का लोकार्पण संपन्न हुआ।

कविवर भ्रमर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ अरुण मोहन भरवी ने कहा कि भ्रमर जी एक साहित्यकार ही नहीं वरन साहित्य जीते थे अपनी जिंदगी में उतारते थे। इसीलिए आपकी कृतियों में सहज मानवीय संवेदनाओं की गहरी पकड़ दिखाई देती है जो समाज को नई दिशा देने में काम करती हैं। पूर्व विधायक प्रोफेसर हृदय नारायण सिंह ने कहा कि भ्रमर साहित्य में ग्रामीण चेतना का जीवंत रेखांकन उनके मौलिक पहचान है।

इसके अलावा श्री भगवान पांडे, शिव बहादुर पांडे प्रीतम, कुशध्वज सिंह मुन्ना, वशिष्ठ पांडे, संजय सागर, राजा रमन पांडे तथा रामेश्वरनाथ मिश्र बिहान ने भ्रमर के ऊपर स्वरचित कविताओं से उन्हें सादर श्रद्धांजलि अर्पित किया। श्रद्धांजलि समारोह में लक्ष्मीकांत मुकुल, राजेश कुमार, दिया कुमारी, जगजीवन मधुर, राजू कुमार सिंह, रामप्रवेश चौबे, श्रीधर शास्त्री, रमाकांत तिवारी, अमरिंदर दुबे, राजेश महाराज, कमलेश कुमार प्रजापति एवं भ्रमर जी के पुत्र अखिलेश कुमार ने भी अपने उद्गार व्यक्त करते हुए उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए उनके साहित्य को आम आदमी की संवेदनाओं सेसम्वृक्त काव्य बताया।

अपने अध्यक्षीय भाषण में अनिल कुमार त्रिवेदी ने कहा कि भ्रमर ऐसे अनेक अनाम साधकों की कृतियों को तबतक सही सम्मान नहीं मिलेगा जब तक भोजपुरी को संवैधानिक दर्जा देते हुए उसे संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान नहीं प्राप्त होगा। कार्यक्रम के अंत में दिवंगत आत्मा की शांति के लिए 2 मिनट का मौन रखा गया।

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