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पहली बार बक्सर में दिखे समुद्री तट पर दिखने वाले ग्रे प्लोवर

गंगा के 50 किमी क्षेत्र में सर्वे किया गया, पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में की गई गणना

न्यूज विजन। बक्सर
शीतकालीन जलीय प्रवासी व देसी और प्रवासी पक्षियों के आगमन से बक्सर के गंगा के तटीय इलाका गुलजार होने लगा है। बक्सर के गंगा तटी इलाके में पहली बार शुरू हो गया है। बिहार के प्रख्यात पक्षी विशेषज्ञ बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के गवर्निंग काउंसिल सदस्य अरविंद मिश्रा ने बताया कि बक्सर में पहली बार ग्रे प्लोवर यानि बड़ा बटान दिखाई पड़ा है। यह पक्षी पूरे राज्य में ही यदा-कदा दिखाई देता है। यह पक्षी साधारणतया समुद्री तटों पर ही दिखाई देता है और कभी कभी ही नदियों में मिलता है। ग्रे प्लोवर साइबेरिया में प्रजनन करने के बाद इधर प्रवास के लिए आते हैं। उन्होंने बताया कि एशियाई शीतकालीन जल पक्षी गणना का कार्य बिहार के चुनिंदा जलाशयों में किया जा है। शुरुआती दौर में 13 दिसंबर को चौसा के रानी घाट से बियासी पुल अर्थात जनेश्वर मिश्रा पुल तक गंगा के करीब इस दल में जमुई के अनुभवी बर्ड गाइड संदीप कुमार, मनीष कुमार यादव, खगड़िया के प्रशांत कुमार और पटना के आरुष कुमार जैसे युवा पक्षी प्रेमी शामिल थे। पक्षियों में विशेष रूचि रखने वाले बक्सर के वनकर्मी नितीश कुमार, रंजन कुमार और बिपिन कुमार का इस कार्यक्रम में विशेष सहयोग रहा। उन्होंने बताया कि भोजपुर वन प्रमंडल के वन प्रमंडल पदाधिकारी प्रद्युम्न गौरव पल पल की जानकारी लेते रहे और अगले भ्रमण में शामिल होने की इच्छा जताई।

 

50 किलोमीटर लम्बे क्षेत्र में और 14 दिसंबर को गोकुल जलाशय में पक्षियों की गणना बिहार के जाने-माने पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में की गई। सितंबर 2025 में गोकुल जलाशय को रामसर साईट का अंतर्राष्ट्रीय दर्जा दिया गया है, जिसने स्थानीय लोगों और वन विभाग के अंदर एक नई उर्जा का संचार पैदा किया है। यह बिहार के लिए गौरव की बात है। मध्य शीत काल में इस वर्ष राज्य के करीब सवा सौ जलाशयों में यह गणना का कार्य फरवरी माह में किया जायगा। इसके बाद शीत काल के समाप्त होते ही फिर अपैल माह में चुनिंदा जलाशयों में गणना का कार्य किया जायगा। पक्षी विशेषज्ञ मिश्रा ने बताया कि भ्रमण में 50 प्रकार के करीब हजार से ज्यादा पक्षियों की गिनती की गई। जिनमें देसी और प्रवासी पक्षी शामिल थे। प्रवासी पक्षियों का आगमन यहां सुदूर देशों से हुआ है जिनमें ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब यानि शिवा हंस, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड यानि लालसर, रूडी शेलडक यानि चकवा, टफ्टेड डक यानि अबलक बतख, गडवाल यानि मैल, कॉमन पोचार्ड यानि बुरार, नॉर्दर्न पिनटेल यानि सींखपर, ग्रीनशैंक यानि टिमटिमा, टेमिंक स्टिंट छोटा पनलव्वा, ऑस्प्रे यानि मछरंगा, केंटिश प्लोवर मेरवा, व्हाइट वैगटेल यानि सफेद खंजन, ब्लैक हेडेड गल यानि धोमरा, पलाश गल यानि बड़ा धोमरा, ओस्प्रे यानि मछलीमार और बार्न स्वालो आदि शामिल हैं।

 

प्रवासी पक्षी ग्रे प्लोवर पूर्व में पक्षी को बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के गवर्निंग कौंसिल के सदस्य अरविंद मिश्रा और एडब्ल्यूसी बिहार के नोडल ऑफिसर एस सुधाकर ने भागलपुर की गंगा नदी में देखा था। स्थानीय पक्षियों में रीवर लैपविंग यानि गंग टिटहरी का बड़ा झुण्ड भी यहां दिखा। इसके अलावा ग्रे हेरॉन यानि अंजन, एशियन ओपनबिल यानि घोंघिल, रेड नेप्ड आइबिस यानि काला बुजा जैसे स्थानीय पक्षी भी अच्छी संख्या में नजर आए। अन्य जीवों में गंगा के क्षेत्र में 20-25 रीवर डॉल्फिन यानि सोंस के साथ सियारों और काले हिरणों की अच्छी संख्या देखी गई।

 

गोकुल जलाशय में भी 71 प्रजातियों के करीब हजारों पक्षी मिले जिनमें स्थानीय पक्षी एशियन ओपनबिल यानि घोंघिल, लिटिल कोर्मोरेंट यानि छोटा पनकव्वा, ग्रेट कोर्मोरेंट यानि बड़ा पनकव्वा आदि अधिक संख्या में दिखे परन्तु लेसर व्हिसलिंग डक यानि छोटी सिल्ही नहीं मिले जो कि गोकुल जलाशय में सबसे अधिक मिला करते हैं। जलाशय में जल स्तर अच्छा खासा बना हुआ था जिस कारण यहां प्रवासी ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब यानि शिवा हंस और ओस्प्रे यानि मछलीमार मजे में दिखाई दिए। सबसे सुखद रहा यहां युवा बर्ड गाइड मनीष और अन्य की मदद से यूरेशियन थिक नी यानि करवानक के 32 की संख्यां में बड़े झुण्ड में दिखाई देना।

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