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पर्यावरण की सुरक्षा के लिए पूरे विश्व समुदाय को एकजुटता के साथ समर्पित होकर प्रयास करना होगा : रामेश्वर प्रसाद वर्मा

पांच जून को पूरा विश्व मनाता है पर्यावरण दिवस

न्यूज विजन| बक्सर
वरीय अधिवक्ता सह साहित्यकार रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने कहा कि संपूर्ण विश्व में इस सामयिक तथ्य को खुले रूप से स्वीकार कर लिया गया है कि पर्यावरण की समस्या दुनिया की सबसे बड़ी समस्या बन गई है। प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस बनाया जाता है। जब संयुक्त राष्ट्र का गठन हुआ तब 1972 में यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली ने 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाने की घोषणा वैश्विक स्तर पर की थी। तभी से इस निर्धारित तिथि को पौधरोपण व जागरूकता कार्यक्रम का आयेाजन किया जाता है। लेकिन, पर्यावरण को बचाने के लिए यह प्रयास नाकाफी है। पर्यावरण के हितार्थ प्रतिबद्धता अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि पतित पावनी गंगा भारत में संस्कृति ही नहीं पर्यावरयण की भी जीवन रेखा है। विश्व पर्यावरण दिवस के संदर्भ में चर्चा करते हुए कहा कि एक तरफ हम गंगा को मां कहते हुए अघाते नहीं हैं वहीं इसका आंचल मैला करने में नहीं शर्माते। गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए समुचित प्रयास करना होगा।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए पूरे विश्व समुदाय को एकजुटता के साथ समर्पित होकर प्रयास करना होगा। जब तक पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होगी, तब तक मानव जीवन सुरक्षित नहीं रह सकता। पर्यावरण को संतुलित रखने का आसान उपाय है पौधा लगाना, लेकिन लगाये गये पेड़ों को काटने की प्रवृति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हर घर में तुलसी का पौधा लगाना चाहिए। क्योंकि, तुलसी का पौधा विश्व को पर्यावरण संकट से मुक्ति दिला सकता है। आबादी के बीच छोटे-छोटे जंगल उगाने होंगे। जहां थोड़ी सी भी जगह मिले वहां छायादार वृक्ष और कृषि वानिकी से संबंधित फलदार वृक्ष लगाकर जंगल की पहल को आगे बढ़ाया जा सकता है।
इन जंगल में पीपल, नीम, बरगद, बेल, जामुन, बेर, गूलर, शरीफा, मली, तुलसी, अमरुद, शीशम, कदम्ब, पाकड़ आम आदि के वृक्ष आक्सीजन देने वाले पर्यावरणा हितैषी पेड़ों की अनिवार्यता है। साहित्यकार वर्मा ने कहा कि पीपल और तुलसी का पौधा 24 घंटे ऑसीजन छोड़ते हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ 5 जून यानी पर्यावरण दिवस को ही नहीं वरन प्रत्येक दिन धरती की हरियाली और खुशहाली के लिए सभी लोगों को प्रयास करने के साथ ही नैतिक जिम्मेवारी लेनी होगी, ताकि प्राकृति का संतुलन कायम रहे।

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