संपूर्ण मानव भागवत की कथा सुनकर आत्म कल्याण अवश्य करें एवं अपने जीवन को सौभाग्य प्राप्ति कराएं – पौराणिक जी
सर्वजन कल्याण समिति के तत्वधान में आयोजित लक्ष्मीनारायण यज्ञ के दौरान भागवत कथा के तीसरे दिन




न्यूज विजन । बक्सर
संघर्षों, द्वंद एवं समस्याओं के साथ ही सुख-दुख हानि- लाभ, जीवन-मरण तथा अनुकूलता और प्रतिकूलता के विचित्र एवं अकथनीय अविरल प्रवाह में प्रवाहमान यह मानव समाज सदा से आनंद एवं अमृततत्वों की खोज करता रहा है किंतु खुद की दिशा सही नहीं होने के कारण यह नर समाज अनंदानुभूति एवं अमृत पान करने में असफल रहा है। उक्त बाते शहर के रामेश्वर नाथ मंदिर परिसर में सर्वजन कल्याण सेवा समिति द्वारा चल रहे 15 वे धर्मायोजन के दौरान भागवत कथा के तीसरे दिन आचार्य कृष्णानंद शास्त्री उर्फ पौराणिक जी ने कहा।
संसार में उपरोक्त तीन तरह के मनुष्य पाए जाते हैं यदि वे इस कथा से शिक्षा लेने का प्रयास करें तो उन्हें ज्ञात होगा कि गुणों को यदि ठीक ढंग से सजाकर सत्कर्म किया जाए तो यह गुण भगवत प्राप्ति का रूप एवं अमृत्व की आनंद होती मोक्ष या मुक्ति में सहायक है विरोधी या अवरोधक नहीं। आवश्यकता है स्वयं को श्री हरि के पावन चरणों में खुद को समर्पित कर उनके आदेश रूप शास्त्रों एवं पुराणों, श्रुति एवं स्मृति के अनुरूप आचरण तथा व्यवहार को समाहित करने की। हे परीक्षित यदि मानव समाज भगवान के आदेशानुसार अपना जीवन यापन करना सीख ले तो उसे इस संसार का समस्त सुख उसके जीवन में मिलेगा ही मरने के बाद परम पद मुक्ति की भी प्राप्ति होगी परंतु हमारा दुर्भाग्य यह है कि हम तमोगुण से ज्यादा प्रेम करने लगे हैं फलत अमृत रूप ईश्वर की प्राप्ति से वंचित हो रहे हैं जबकि मानव जीवन का उद्देश्य ही है अमृत तत्व की प्राप्ति। राजन -तुमने रजोगुण एवं तमोगुण को त्याग कर सतोगुण का आश्रय लेकर इस भागवत का श्रवण करके अपने मानव जीवन को सफल कर रहे हो। यह भागवत अमृत तत्व एवं आनंद तत्व प्राप्त कराने में समर्थ है। अब तुम अवश्य ही ईश्वर को प्राप्त करोगे एवं सदा के लिए जीवन मरण के भय से मुक्त हो जाओगे। जीवन -मरण, भय-दरिद्र एवं दुखों से मुक्ति प्रदान कर अभय पद एवं अमृत पान तथा आनंदाअनुभूति कराने वाला एकमात्र श्रीमद्भागवत महापुराण ही है। सदियों से जीव मात्र को मोक्ष प्रदान करने वाला यह ग्रंथ आज भी उतना ही प्रबल एवं प्रासंगिक है जितना कि अंधकार दूर करने में मार्तंड है।संपूर्ण मानव समुदाय को चाहिए कि वह भागवत की कथा सुनकर आत्म कल्याण अवश्य करें एवं अपने जीवन को परम सौभाग्य की प्राप्ति कराएं।









