धुएं के गुब्बार से पटा शहर, ऐतिहासिक किला मैदान समेत पुरे चरित्रवन में श्रद्धालुओ ने लिट्टी चोखा बना किया प्रसाद ग्रहण




न्यूज़ विज़न । बक्सर
विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक पंचकोशी मेला को लेकर विश्वामित्र की नगरी जिसे मिनी काशी भी कहा जाता है। जहां 2 दिसंबर से इसकी शुरुआत होकर बुधवार 6 दीसमबार को अंतिम पांचवा पड़ाव पर समाप्ति हो गया। यहां श्रद्धालुओं का मंगलवार की रात से ही आने का ताता लगा हुआ था। देश सहित नेपाल के अलावे दूरदराज क्षेत्रों से भारी संख्या में लोग पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि गंगा में स्नान कर मंदिरों में पूजा अर्चना करने के बाद लिट्टी चोखा लगाकर प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण करते हैं। गंगा नदी से सटे चरित्रवन सहित किला मैदान में श्रद्धालुओं से भरा पड़ा दिख रहा है। पंचकोशी के अवसर पर बक्सर में लिट्टी चोखा भोज का आयोजन हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं ने खुद उपला लाकर या खरीद कर लिट्टी लगाकर प्रसाद ग्रहण किया, वहीं दूसरों के बीच भी प्रसाद ग्रहण कराया।











सदर विधायक द्वारा आयोजित किया गया था लिट्टी चोखा भोज
किला मैदान से लेकर बक्सर के अन्य इलाकों में लिट्टी चोखा बनाकर बक्सर पहुंचे श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं। किला मैदान का ऐसा नजारा देखने को मिला जहां मानों आंसमान धुएँ- धुएं से भर गया हो। इसके अलावा शहर के हर घर में लिट्टी-चोखा की तैयारी हो रही है। चरित्रवन के त्रिदंडी स्वामी आश्रम के समीप संस्कृत महाविद्यालय प्रांगण साहित विभिन्न जगहों में लिट्टी चोखा भोज का आयोजन किया है। वही सदर विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ़ मुन्ना तिवारी द्वारा सिपाही घाट सुमेश्वर स्थान में लिट्टी चोखा का भोज का आयोजन किया गया। जहां हर समुदाय हर वर्ग पुलिस पदाधिकारी से लेकर सभी पार्टी के नेता गण सहित अन्य प्रतिनिधि मौजूद रहे।
पंचकोशी परिक्रमा समिति द्वारा चरित्रवन श्रीनिवास मंदिर में श्रद्धालुओ के लिए की गयी थी प्रसाद की व्यवस्था, प्रवचन के माध्यम से बताया गया महत्त्व
शहर के चरित्रवन श्रीनिवास मंदिर में पंचकोशी परिक्रमा समिति के अध्यक्ष पूज्य संत स्वामी आच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज द्वारा मंदिर परिसर में प्रसाद ग्रहण करने की व्यवस्था की गयी थी। इस दौरान पूज्य स्वामी दामोदराचार्य जी महाराज, पूज्य स्वामी अनुरागदास जी महाराज एवं अन्य लोग मौजूद रहे। वही डा.रामनाथ ओझा ने बताया कि बक्सर से ही सृष्टि की शुरुआत होती है। इसीलिए बक्सर और बक्सर की पंचकोसी परिक्रमा की महत्ता काफी बढ़ जाती है। बक्सर वह धरती है, जहां तमाम जगहों से आने के बाद यहां हर किसी की मंगल कामना हुई है। उन्होंने बताया कि पंचकोसी परिक्रमा से अपने लक्ष्य से भटका हुआ व्यक्ति भी अपने गंतव्य को प्राप्त कर लेता है। बक्सर की धरती वह ऐतिहासिक धरती है जहां भगवान बामन ने जन्म लिया। उन्होंने बताया कि धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में जिस तरह से बक्सर को विकसित होना चाहिए, वह कहीं ना कहीं आज भी नहीं हो पाया है। चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने जनप्रतिनिधि और सरकारी स्तर पर उदासीनता बरते जाने को लेकर भी चिंता जाहिर की,साथ ही कहा कि इस दिशा में सभी को आगे आना चाहिए। ताकि बक्सर की धार्मिक महत्ता को और विश्व पटल पर निखारा जा सके।
पंचकोशी यात्रा के दौरान दौरान सुरक्षा के साथ ही विधि व्यवस्था बनाएं रखने के लिए जिला प्रशासन के द्वारा रेलवे स्टेशन और किला मैदान सहित अन्य जगहों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। वही जाम की समस्या से निजात के लिए शहर के ज्योति चौक और आईटीआई मैदान से ऑटो और निजी वाहनों को भी रोक दिया गया था. लिट्टी चोखा मेला को लेकर सब्जियों की मंडी में बैंगन, टमाटर से लेकर लिट्टी चोखा भगवान के लिए दुकानें सजी थी। दरअसल ऐतिहासिक पंचकोशी परिक्रमा की परंपरा की शुरुवात भगवान राम के उस समय से शुरू होती है। जब भगवान राम तड़का का वध करने के बाद बक्सर के पांच स्थलों पर यात्रा किए थे। मान्यताओं की माने तो भगवान राम सभी पांचो जगहों पर गए। जिसमें पहला स्थान अहिरौली, फिर नदावं, उसके बाद भभुवर और नुवांव तथा अंत में चरित्रव़न की यात्रा भगवान राम ने की थी। इन सभी स्थलों पर रात्रि विश्रा़म किया और अलग अलग भोजन ग्रहण किया। ऐसे में अंतिम दिन लिट्टी चोखा से यात्रा की समाप्ति की जाती है। जो देर शाम तक नजारा देखने को मिल रहा है। निजी वाहनों एवं रेलवे द्वारा यात्रियों का आने-जाने का सिलसिला जारी है।
ज्योति चौक पर दिनभर लगता रहा जाम, पुलिस रही परेशान
वही बक्सर शहर के विभिन्न जगहों पर महाजाम का नजारा दिखा, खासकर ज्योतिप्रकाश चौक, सेंडीगेट, गोलंबर आदि चौराहे जाम से कराहते रहे। पुलिस बल की कमी के वजह से घंटों का जाम रहा। जबकि नगर थाना के एसआई संतोष कुमार द्वारा ज्योति प्रकाश चौक पर जाम से निबटने का पूरा प्रयास किया जा रहा था।

