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अवैध धर्मांतरण का विरोध करने वाले पांच ग्रामीणों को मिला ‘राष्ट्र ज्योति सम्मान’

मानवाधिकार आयोग के  सदस्य प्रियंक कानूनगो ने किया सम्मानित 

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 

जिले के उमरपुर पंचायत अंतर्गत बड़कागांव के पांच साहसी ग्रामीणों को अपने क्षेत्र में चल रहे अवैध धर्मांतरण गिरोह का विरोध करने और उसे समाप्त करने के लिए ‘राष्ट्र ज्योति सम्मान’ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान कार्यक्रम में बतौर अतिथि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के सदस्य प्रियंक कानूनगो द्वारा प्रदान किया गया, जो इस समारोह में भाग लेने के लिए दिल्ली से आए थे।

 

यह कार्यक्रम रविवार को दिल्ली-स्थित संगठन अग्नि समाज द्वारा आयोजित किया गया, जिसकी संस्थापक और नेतृत्वकर्ता स्वाति गोयल शर्मा भी उपस्थित रहीं। राष्ट्र ज्योति सम्मान विशेष रूप से दलित समुदायों के बीच संवैधानिक अधिकारों और सांस्कृतिक अखंडता की रक्षा में लगे स्थानीय प्रयासों को मान्यता देने और प्रोत्साहित करने के लिए है। सम्मानित किए गए ग्रामीणों में शामिल थे संजय पासवान, लड्डू पासवान, मुकुंद सनातन, अविनाश मिश्रा और रोशन चौबे। ज्ञात हो कि कुछ सप्ताह पहले, एक पादरी ने बड़का गांव और आसपास के इलाकों के ग्रामीणों को गांव के बाहर बुलाया और उन्हें गंगा में डुबकी लगवाकर ईसाई धर्म में औपचारिक रूप से धर्मांतरण कराने की कोशिश की। उस पादरी ने महिलाओं के सिंदूर को पोंछ दिया। सम्मानित पांचों ग्रामीणों ने घटनास्थल पर पहुँच कर इस गतिविधि को रोकने में सक्रिय भूमिका निभाई और सुनिश्चित किया कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। अविनाश, जो एक शिक्षक हैं, ने बताया कि “एक व्यक्ति ने कबूल किया कि उसे धर्मांतरण के लिए 500 रुपये दिए गए थे।”

 

प्रियंक कानूनगो ने इस अवसर पर संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 के बारे में जानकारी दी, जिसमें यह स्पष्ट है कि अनुसूचित जाति का दर्जा और उससे जुड़ी सुविधाएं केवल हिंदू, सिख और बौद्ध धर्मावलंबियों को ही प्राप्त हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि अवैध या जबरन कराया गया धर्मांतरण न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है, बल्कि अनुसूचित जातियों को दिए गए संवैधानिक अधिकारों से भी वंचित कर देता है। अग्नि समाज और राष्ट्र ज्योति सम्मान की संस्थापक स्वाति गोयल शर्मा ने कहा कि ये ग्रामीण वास्तव में हमारे राष्ट्र के असली नायक हैं।

 

छपरा निवासी सामाजिक कार्यकर्ता आनंद वर्मा ने कार्यक्रम के आयोजन और स्थानीय सहभागिता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस कार्यक्रम में 300 से अधिक ग्रामीणों ने भाग लिया, जिसके अंतर्गत जरूरतमंद परिवारों को आवश्यक सामग्री का वितरण भी किया गया।

 

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