थर्मल पावर के लिए रेलवे कॉरिडोर को 20 किलोमीटर लंबा करने का कोई औचित्य नहीं है : अशोक प्रसाद
चौसा पावर प्लांट को आरम्भ होने में देरी का समीक्षा करने सोमवार को चौसा पहुंचेंगे भारत सरकार के ऊर्जा सचिव




न्यूज़ विज़न। बक्सर
जिले के निर्माणाधीन चौसा थर्मल पावर प्लांट हेतु भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों ने अपने वाजिब मुआवजा एवं राहत की मांगों को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे हैं। डीएम और एसपी के निर्देशानुसार कंपनी के सीएफओ, जिला प्रशासन की ओर से बक्सर एसडीएम, बीडीओ (चौसा) और एसडीपीओ, बक्सर एवं थाना प्रभारी बक्सर (मुफस्सिल) तथा किसान प्रतिनिधियों की संयुक्त बैठक में किसानों ने अपने न्याय संगत और विधि संगत 11 सूत्री मांगों को रखा था। जिसमे कई मुद्दों पर सहमति भी बनी और 4 से 6 सप्ताह के अंदर हर हाल में उसे पूरा करने का लिखित आश्वासन भी दिया गया। लेकिन 5 माह बीत जाने के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुआ तब 9 मार्च 2024 को डीएम से मिलकर किसानों ने अपनी व्यथा सुनाया था। उक्त बातें भारतीय किसान यूनियन के बिहार प्रभारी दिनेश कुमार ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा।











उन्होंने कहा कि चौसा के महादेवा में किसानों की रैयती जमीन को सरकारी भूमि बता कर कम्पनी ने जबरदस्ती पाइप लाईन का काम शुरू कर दिया, जिसका किसानों द्वारा विरोध किया गया। वही प्रेस वार्ता के दौरान बिहार राज्य किसान सभा के महासचिव अशोक प्रसाद सिंह ने कहा कि सोमवार को भारत सरकार के ऊर्जा सचिव चौसा आ रहे हैं। वे विलंब का कारण जानना चाहेंगे। उन्हें इसका मूल्यांकन करना चाहिए कि इस परियोजना मे विलंब क्यों हो रहा है? हम किसान प्रतिनिधि उनसे मिलकर किसानों का पक्ष रखना चाहते हैं कि विलंब का असली कारण कंपनी का प्रबंधन है। उन्होंने कहा की कंपनी के आर एंड आर की राशि का बड़े पैमाने पर घोटाला हो रहा है। साथ ही कैग रिपोर्ट में भी भूमि अधिग्रहण में राशि की गड़बड़ी की रिपोर्ट है। चौसा स्टेशन से प्लांट की दूरी मात्र 3 किलोमीटर है। फिर थर्मल पावर के लिए रेलवे कॉरिडोर को 20 किलोमीटर लंबा करने का कोई औचित्य नहीं है। किसान जमीन को बर्बाद करने की नीति का विरोध कर रहे हैं। मौके पर पूर्व सांसद तेजनारायण सिंह, केदार सिंह जिला पार्षद, सुरेंद्र सिंह मौजूद थे।

