तेज धूप और उमस भरी गर्मी में रामरेखा घाट पर मुंडन संस्कार के लिए पहुंचे हजारों लोग
बक्सर। मुंडन संस्कार के शुभ मुहूर्त को लेकर सोमवार को स्थानीय रामरेखा घाट पर अहले सुबह से ही लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। उमड़े जन-सैलाब से नगर की सड़कों पर सुबह से दोपहर तक जाम की स्थिति बनी रही। मुंडन संस्कार के लिए आने वाले परिजन अपने गाड़ियों को स्टेशन रोड और किला मैदान में यत्र यत्र खड़ा कर दिये थे। शहर में जाम की स्थिति से निबटारा के लिए एसडीओ द्वारा पूर्व से शहर में वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाने का निर्देश जारी किया गया था। परंतु ऐसा नहीं हुआ और बस, ट्रैक्टर और जीप, टेंपो से पूरा किला मैदान भर गया था। दोपहर में शहर में जाम की स्थिति को देखते हुए प्रशासन की ओर से गोलंबर, नया बाजार मठिया मोड़ और इटाढ़ी रेलवे क्रॉसिंग के पास ही वाहन को रोकने की व्यवस्था की गई। इन जगहों पर तैनात पुलिस वाहन को शहर में प्रवेश नहीं करने दे रहे थे। ऐसे में लोगों को पैदल ही रामरेखा घाट तक आना पड़ा।
विद्वान पंडितों के अनुसार संस्कार के लिए साल के गिने चुने मुहूर्तों में एक था। जिसकी वजह से शाहाबाद परिक्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाले भोजपुर, रोहतास, कैमूर, बक्सर से लगायत उत्तरप्रदेश के सीमावर्ती गाजीपुर और बलिया से श्रद्धालुओं का हुजूम अपने नाते-रिश्तेदारों के साथ गंगा घाट पहुंचे हुए थे। रामरेखा घाट के पंडा लाला बाबा ने बताया कि इस संस्कार की रस्मअदायगी से बच्चों का जीवन सुखमय व दीर्घायु होता है। वहीं ऋषि-महर्षियों की तपोस्थली और गंगा की धारा उत्तरायणी होने से इस स्थल का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस कारण कई जिला क्षेत्रों से यहां लोगों का आगमन होते रहता है।
हिंदू धर्म में 16 संस्कारों का है वर्णन
हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक 16 संस्कारों का वर्णन मिलता है। इनमें गर्भाधान संस्कार, नामकरण संस्कार, यज्ञोपवीत संस्कार, विवाह संस्कार और अन्त्येष्टि संस्कार आदि प्रमुख है। शिशु के जन्म के बाद नामकरण संस्कार के उपरांत मुंडन संस्कार किया जाता है। इस संस्कार को बचपन क्रिया संस्कार, मुंडन संस्कार और चूड़ाकर्म संस्कार भी कहते हैं। मुंडन संस्कार में बच्चे के पहले वर्ष के अंत में या तीसरे, पांचवें, सातवें वर्ष के पूर्ण होने पर बाल उतारे जाते हैं।
श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से की पूजा
प्रसिद्ध रामरेखाघाट के गंगातट पर बुधवार को विभिन्न क्षेत्रों से उमड़े श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। इस दौरान घाट के पंडितों ने जहां बच्चों का मुंडन कराकर उन्हें स्नान कराया। वहीं, गंगा मइया का वैदिक तरीके से मंत्रोच्चार कर पूजन कराया। इसके उपरांत श्रद्धालु नाव के सहारे परिजनों के साथ गंगा के उस पार गए।
नाविकों एवं घाट के पंडितों की रही चांदी
मुंडन संस्कार पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ में रामरेखाघाट पर रहने वाले पंडितों व नाविकों की आज चांदी रही। परिजन विधि-विधान कराने के लिए मुंहमांगा रकम दे रहे थे। घाट पर नाई की कमाई भी खूब हुई। परिजनों को बच्चों का मुंडन कराने के लिए इंतजार करना पड़ रहा था। रामरेखा घाट के पहुंचपथ और घाट पर छोटे-बड़े दुकानदारों को अच्छी आमदनी हुई।
तेज धूप और गर्मी के कारण लोग नया और पुराना विवाह मंडप खचाखच भरा हुआ था। जिसमें लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। वही गंगा घाटों पर लोग विवाह मंडप के अलावा पेड़ की छाया में लोग शरण लेते रहे। और कड़ी धूप से बचाव करते दिखे। सुबह 4 बजे से ही शहर में बस, ट्रैक्टर, टेंपो, जीप व छोटी वाहनों से पहुंच रही महिलाओं द्वारा गायी जा रही गीत गूंजता रहा। वही मुंडन संस्कार के लिए पहुंच रहे लोगो ने बताया कि शादी विवाह का भी शुभ मुहूर्त होने के चलते गांव देहात से आने के लिए वाहनों की बहुत परेशानी हुई और किराया भी डेढ़ा से दूना देना पड़ रहा है। वही तेज धूप और उमस भरी गर्मी में तरबूज, खीरा, ककरी की दुकानों पर भीड़ लगी रही साथ ही कोल्ड ड्रिंक्स व ठंडा मिनरल वाटर की भी दुकान पर लोग पहुंच प्यास मिटाने और राहत पा रहे थे।