तुलसी दास का संपूर्ण काव्य चुनौतियों से टकराने और विजय प्राप्ति की प्रेरणा देने वाला है : छाया चौबे




न्यूज विजन | बक्सर
महाकवि गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस विश्व का एकमात्र इकलौता ग्रंथ है जो आज भी करोड़ों लोगों को रोजी-रोटी चला रहा है। यह तुलसी का ही प्रभाव है कि बेल्जियम में जन्मा पला बढ़ा ईसाई पादरी जब भारत आकर ईसाइयत का प्रचार करना शुरू करता है तो उसका वास्ता ‘मानस’ से पड़ता है। और वह रामकथा का सबसे प्रमाणिक शोधकर्ता बन जाता है, जिसका नाम है डॉक्टर फादर कामिल बुल्के। उक्त बातें वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ दिवाकर पांडे ने महाकवि तुलसीदास जी 526 वी जयंती पर भोजपुरी साहित्य मंडल द्वारा शहर के श्रीचंद मंदिर पर आयोजित समारोह के दौरान बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कहा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मंडल अध्यक्ष अनिल कुमार त्रिवेदी ने किया एवं मंच संचालन साहित्यकार डॉ अरुण मोहन भारवि ने किया। जयंती समारोह को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर छाया चौबे ने कहा कि तुलसी दास का संपूर्ण काव्य चुनौतियों से टकराने और उस पर विजय प्राप्ति की प्रेरणा देने वाला है। तुलसीदास से बड़ा कोई भी कवि भक्तिकाल में पैदा ही नहीं हुआ है। कार्यक्रम में सर्वप्रथम आगत अतिथियों ने महाकवि तुलसीदास के तैल चित्र को माल्यार्पण कर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किया। तत्पश्चात पंडित रविंद्र नाथ ने अपने मित्रों के साथ मंत्रोंच्चारण प्रस्तुत किए। डॉ अरुण मोहन भारवि ने मुख्य अतिथि सहित अतिथियों का परिचय श्रोताओं से करवाते हुए उनका स्वागत किया। तथा विद्वानों को बुके, प्रतीक चिन्ह एवं शॉल देकर सम्मानित किया। अध्यक्षीय भाषण में अनिल कुमार त्रिवेदी ने कहा कि महाकवि तुलसीदास कवि ही नहीं बल्कि एक सफल साधक, भक्त, समाज सुधारक, राष्ट्रवादी चिंतक तथा महान समन्वयवादी थे। जयंती समारोह में राजारमन पांडे, राम प्रकाश चौबे, अमरिंदर दुबे, शिवबहादुर पांडे प्रीतम, महेश्वर ओझा महेश, रामेश्वर मिश्र विहान, वशिष्ठ पांडे, वैदेही श्रीवास्तव, शशि भूषण मिश्र, राजेश महाराज, श्रीधर शास्त्री, यतींद्र चौबे, रवि प्रकाश, सूरज, राजेश कुमार आदि ने अपने विचारो को रखा।









