तुलसीदास संत के साथ ही सफल समाज सुधारक भी थे : डॉ भारवि
भोजपुरी साहित्य मंडल द्वारा गोस्वामी तुलसीदास के जयंती पर "गोस्वामी तुलसीदास का युगबोध" विषय पर परिचर्चा आयोजित




न्यूज़ विज़न। बक्सर
रामचरितमानस एक अनाथ असहाय बालक रामबोला को संत तुलसीदास बनाने की संघर्ष गाथा है। जो धर्म संघर्ष पथ पर अग्रसर होते दशरथ नंदन राम को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के रूप में प्रतिष्ठित कर देता है। तुलसीदास संत के साथ ही सफल समाज सुधारक भी थे, समन्वयवादी और प्रतिबद्ध महाकवि भी उन्होंने कृष्ण की बांसुरी की तान से ज्यादा राम का धनुष बाण वाला वीर रूप ज्यादा प्रिय था उक्त बातें सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ अरुण मोहन भारवि ने आर्या एकेडमी में भोजपुरी साहित्य मंडल द्वारा आयोजित तुलसी जयंती के अवसर पर “गोस्वामी तुलसीदास का युगबोध” विषय पर परिचर्चा के दौरान कहा। कार्यक्रम की अध्यक्षता भोजपुरी साहित्य मंडल के अध्यक्ष अनिल कुमार त्रिवेदी ने किया।








जयंती समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में डॉक्टर विष्णु देव तिवारी ने कहा कि तुलसी को समझने के लिए पाठकों को निर्द्वन्द भाव से होकर गुजरना होगा। तुलसी मर्यादा के कवि हैं भला वह किसी का अपमान कैसे कर सकते हैं। पंकज भारद्वाज ने कहा कि तुलसी पहले संत थे कवी बाद में। डॉक्टर बैरागी प्रभात चतुर्वेदी ने कहा कि तुलसीदास की आलोचना वही करते हैं जो उन्हें पढ़ा नहीं है तुलसी अपने युग में भी प्रासंगिक थे और आज भी है। अपने अध्यक्षीय भाषण में अनिल कुमार त्रिवेदी ने कहा कि तुलसी विश्व के सर्वश्रेष्ठ कवियों में है। और उनका “मानस” सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य। परिचर्चा में धन्नू लाल प्रेमातुर, बिंदेश्वरी पांडे उर्फ़ पप्पू पांडेय अधिवक्ता, अमरेंद्र दुबे, रवि प्रकाश सूरज, मनु प्रसाद मद्धेशिया, राजेश कुमार आदित्य ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए महाकवि तुलसी को भक्ति काल ही नहीं विश्व साहित्य का श्रेष्ठ कवि बताया। जयंती समारोह के अवसर पर शिव बहादुर पांडे प्रीतम के संचालन में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें अपने काव्य पाठ से श्रोताओं को मंत्र मुक्त दिया। उमेश पाठक, रवि, वशिष्ठ पांडे, कुशध्वज सिंह, रमाकांत तिवारी, श्रीनिवास चतुर्वेदी, श्रीधर शास्त्री, राजेश महाराज शामिल रहे। कार्यक्रम का श्री गणेश पंडित दीपक चौबे एवं साथियों द्वारा सामूहिक रूप से किया गया और समापन डॉक्टर भारवि के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।




