RELIGION

जो पुरुष अंत समय में शिव नाम का स्मरण करता है उसे शिव पुराण प्राप्त हो ही जाती है : आचार्य रणधीर ओझा

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 

सावन के पवित्र महीने में नगर के रामरेखा घाट स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर परिसर में सिद्धाश्रम विकास सेवा समिति द्वारा सप्त दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा के चौथे दिन मामाजी के कृपा पात्र आचार्य श्री रणधीर ओझा ने कहा की भगवान शिव की महिमा अनंत और अपार है। उनकी महिमा का गायन कोई नहीं कर सकता। भगवान सदाशिव भोलेनाथ की महिमा का विस्तृत वर्णन शिव पुराण में मिलता है किन्तु महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित 18 पुराणों में कोई भी ऐसा पौराणिक ग्रंथ नहीं है जिसमें भगवान शिव की महिमा से संबंधित कोई प्रसंग उपस्थित न हुआ हो।

 

आचार्य श्री ने कथा में भगवान शिव के नामों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान शिव जी को मृत्युंजय भी कहते हैं। इनकी कृपा से मृत्यु के समीप पहुंचा व्यक्ति भी स्वस्थ होकर जीवित हो उठता है। शिव जी के नाम की महिमा अपार है। भगवान शंकर जी के अनेक नाम हैं। उन्हें अपने नामों में सर्वाधिक प्रिय नाम महादेव है। शिवजी का भक्त यदि शिव मंदिर में जाकर उनके विग्रह के समक्ष उच्च स्वर से महादेव, महादेव का उच्चारण करता है जो जैसे बछड़े की ध्वनि सुनकर उसकी मां गाय के बछड़े के पीछे दौड़ने लगती है जैसे इंद्रियों के विषय रस पाने के लिए मन विचलित हो उठता है, उसी प्रकार भगवान शिवजी अपने भक्त के पीछे अपना वरदहस्त उठाकर दौड़ जाते हैं।

शिव मंदिर में प्रवेश करके विराजित शिवलिंग के समीप महादेव इस नाम के तीन बार उच्चारण (उच्च स्वर से शिव मूर्ति या शिवलिंग के समीप उच्चारण) करने से आशुतोष भगवान इतने प्रसन्न हो जाते हैं कि पहले नामोच्चारण मात्र से वह अपने भक्त या साधक को मोक्ष का अधिकारी बना देते हैं। दो बार किए गए नाम उच्चारण से वह स्वयं अपने भक्त, उपासक, आराधक या पूजक के सदैव ऋणी हो जाते हैं। पूजा-पाठ कर्मकांड इत्यादि में बहुत नियम आदि हैं लेकिन नाम जप में चलते फिरते दिन-रात उठते बैठते जैसे हो वैसे ही जपना चाहिए । इसमें कोई बाधा नहीं है। शिव नाम के यथार्थ महात्म को समझकर प्रेमपूर्वक नाम के जाप करने से अंतःकरण शुद्ध हो जाने पर भागवत भक्ति रूप मधुर फल की प्राप्ति होती है । इससे सकाम मनुष्य को अर्थ, धर्म, कर्म और मोक्ष चारों पदार्थ की सिद्धि अनायश हो ही जाती  है। जो पुरुष अंत समय में शिव नाम का स्मरण करता है वह चाहे कैसा भी इंसान क्यों ना हो  उसे शिव पुराण प्राप्त हो ही जाती है । शिव पुराण में कहा गया है कि श्रद्धा और विश्वास के साथ शिव नाम के आश्रय लिए बिना मन से जगत के विषयों का आश्रय नहीं छूटता और जब तक विषयों का आश्रय है तब तक सच्चे सुख और शांति का अनुभव नहीं हो सकता।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button