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फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी कर रहे नौ शिक्षकों पर कार्यवाई करते हुए राशि वसूल करने का  जिला पीजीआरओ ने दिया आदेश 

जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना की संलिप्पता हुयी उजागर

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 

जिले का शिक्षा विभाग अपनी करतूतों से फिर एकबार चर्चा में आ गया है। इस बार फर्जी नौ शिक्षकों की नियुक्ति मामले में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना मो. शारिक अशरफ पर जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी द्वारा कार्यवाई करते हुए अपने पद का दुरूपयोग करते हुए नौ शिक्षकों के फर्जी प्रमाण पत्र को जायज ठहरा भुगतान किया गया। वही उन नौ शिक्षकों पर कार्यवाई करते हुए राशि की वसूली करने का भी निर्देश जारी किया गया है।

 

 

ज्ञात हो की फर्जी शिक्षकों को बचाने के मामले में एक बार फिर शिक्षा विभाग चर्चा में आ गया है। मामला सिमरी के विभिन्न पंचायतों में नियोजित नौ शिक्षकों से संबंधित है, जिनके प्रमाण पत्रों को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने जांच में फर्जी करार दिया था। विभाग ने उन शिक्षकों पर कोई कार्रवाई नहीं की और मामले को दबा दिया। और तो और उनमें से पांच शिक्षकों को निगरानी पदाधिकारी, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के दूसरे पत्र से सही भी ठहरा दिया गया। मामला जब जिला लोक शिकायत में पहुंचा और लोक शिकायत पदाधिकारी के निर्देशानुसार जिला शिक्षा पदाधिकारी अनिल कुमार द्विवेदी ने निगरानी पदाधिकारी द्वारा जारी दूसरे पत्र की सत्यता का सत्यापन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी चौगाईं के माध्यम से बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से कराया तो, उन पांच शिक्षकों को सही ठहराने वाला पत्र भी फर्जी निकला। जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी को प्रेषित प्रतिवेदन में जिला शिक्षा पदाधिकारी ने मामले में अनुसंधान की आवश्यकता जताई है। सवाल खड़ा होता है कि निगरानी पदाधिकारी, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के नाम से फर्जी पत्र किसने बनवाया, जिसमें फर्जी नौ शिक्षकों में पांच शिक्षकों को सही ठहराया। बहरहाल, मामला लोक शिकायत में पहुंचा तो इसका खुलासा हुआ।

फर्जी पत्र जारी कर इन शिक्षकों को ठहराया गया था सही  

निगरानी पदाधिकारी, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा निर्गत दूसरे पत्र में, जिसको चौगाईं बीईओ के माध्यम से कराए गए जांच में फर्जी पाया गया, उसमें पांच शिक्षकों के प्रमाणपत्रों को सही करार दे दिया गया। जबकि, पहले उन पांचों के प्रमाण पत्रों को गलत ठहराया गया था। इन पांचों शिक्षकों में प्रीति कुमारी, तारामुनि, राजेश कुमार, पूनम कुमारी एवं दलसिंगार बिंद शामिल हैं। अब लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी इन शिक्षकों के साथ-साथ कुल नौ शिक्षकों पर, जिनका प्रमाणपत्र फर्जी है, कार्रवाई का निर्देश दिया है।

विमल कुमार द्वारा जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के यहाँ दायर किया था परिवाद 

मामले में विमल कुमार द्वारा जिला लोक शिकायत में दायर परिवाद का जांचोपरांत स्पष्ट होता है कि पूर्व में निगरानी पदाधिकारी, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति, पटना द्वारा निर्गत पत्र 31 मार्च के आलोक में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, स्थापना, द्वारा कुल 09 शिक्षकों का नियोजन रद्द करने से संबंधित कार्रवाई एवं कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए थी। परन्तु इनके द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी है एवं मामले को लगभग 9 माह तक दबाकर रखा गया जो खेदजनक है एवं लापरवाही का घोतक है, जिसके लिए जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, स्थापना, दोषी प्रतीत होते है।

मामले को 9 माह तक दबाकर रखने के आरोप में स्थापना डीपीओ मो. शारिक अशरफ पर अनुशासनिक कार्रवाई की भी अनुशंसा

इससे स्पष्ट होता है कि इनके द्वारा अपने पदीय दायित्वों का निर्वहन नहीं किया गया है, जिसके लिए इन्हे जिम्मेवारी से मुक्त नहीं किया जा सकता है। साथ ही जिला शिक्षा पदाधिकारी, द्वारा भी इस मामले में सही प्रवेक्षण/अनुश्रवण नहीं किया गया है और न ही कोई ठोस कार्रवाई की गई है। जिससे इनकी भी लापरवाही उजागर होती है। लोक प्राधिकार जिला शिक्षा पदाधिकारी, को निदेश दिया जाता है कि इस मामले में निगरानी पदाधिकारी, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति, पटना द्वारा निर्गत पत्र 31 मार्च के आलोक में परिवाद में वर्णित सभी फर्जी शिक्षको पर तत्काल नियोजन रद्द एवं कानूनी कार्रवाई करना सुनिश्चित करेगे। साथ ही अवैध तरीके से किये गये भुगतान की वसुली हेतु आवश्यक कार्रवाई करें। तथा इस मामले में लापरवाही बरतने, अपने पदीय दायित्वों का निवर्हन नहीं करने एवं इस मामले को लगभग 09 माह तक दबाकर रखने के आलोक में स्थापना डीपीओ मो. शारिक अशरफ पर अनुशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा की है।

 

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