त्रिभुवन में वही धन्य है जिसके हृदय में भक्ति महारानी विराजमान है : आचार्य रणधीर ओझा




न्यूज विजन । बक्सर
शहर के रामरेखा घाट स्थित रामेश्वरम मंदिर में विकास सिद्धाश्रम सेवा समिति द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन आचार्य श्री ने भक्ति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि चारों वर्णों को भक्ति करने की अधिकार है और भक्ति सहज रूप में कथा श्रवण से प्राप्त हो जाती है। भगवान की कथा सदैव श्रवण करने योग्य है इसके श्रवण मात्र से हमारे चित्र में हरि कृष्ण चिपक जाते हैं। वह टेढ़ी टांग वाला दृवीभूत होकर चित में ऐसा गढ़ जाता है कि तुम निकालना चाहे तो निकल नहीं पता है। उन्होंने कहा कि त्रिभुवन में वही धन्य है जिसके हृदय में भक्ति महारानी विराजमान है क्योंकि भगवान जिस भवन में भक्ति को देखते हैं फिर अपना बैकुंठ त्याग कर उसे भक्त के हृदय में भगवान जबरदस्ती घुसपैठ करते हैं।
श्रीमद् भागवत श्रवण से ज्ञान और वैराग्य के साथ भक्ति भी पुष्ट होकर नृत्य करने लगी। कथा को आगे बढ़ते हुए आचार्य श्री ने कहा कि प्रेम के साथ यदि कथा श्रवण कर उसे पर मनन किया जाए तो चाहे जैसा भी पापी हो हम तो यहां तक कहते हैं कि जो जीवन में पाप के अतिरिक्त दूसरा कोई काम ही नहीं किया हो। अत्याचार, दुराचार, भ्रष्टाचार में हो अपने जीवन को समर्पित कर दिया ऐसे महापापी जीवन में एक बार भी कथा न सुन पाए तो मरने के बाद कहीं भूत प्रेत की योनि में जाकर सुन तो वह भी परम पावन हो जाता है। कथा में मुख्य रूप से सहयोगी रामस्वरूप अग्रवाल, सत्यदेव प्रसाद ,नंदू जायसवाल, संजय सिंह हरिशंकर गुप्ता,उपेंद्र दुबे, नियम तुला फरीदी, रामनाथ पांडे ,सुजीत कुमार चौबे, नरसिंह जी, अशोक सिंह, गोवर्धन पांडे समेत समिति के अन्य सदस्य मौजूद रहे।









