गुरु कृपा प्राप्ति के बिना भव सागर से मुक्त नहीं हो सकता जीव: श्री रामचरित्र दास




न्यूज विजन । बक्सर
सदर प्रखंड में स्थित श्री हनुमत धाम मंदिर प्रांगण में गुरु पूर्णिमा महोत्सव मनाया गया। शिष्यों ने श्री गुरु वंदन कर गुरु पूजन किया। गुरु-शिष्य परंपरा का निर्वहन करते हुए उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया। सोमवार सुबह से ही गुरु वंदन का कार्यक्रम शुरू हो गया था। साकेतवासी परम पूज्य नेहनिधि सिया अनुज श्रीमन्नारायण दास जी भक्तमाली उपाख्य श्री मामा जी महाराज, बक्सर वाले के प्रथम शिष्य श्री रामचरित्र दास जी महाराज उपाख्य श्री महात्मा जी ने व्यास पूर्णिमा के पुनीत अवसर पर गुरु और शिष्य की महिमा का बखान करते हुए कहा कि गुरु और शिष्य की महिमा बहुत ही निराली एवं सुखदायक होती है। पूरे मन से अगर गुरु की सेवा की जाए तो भगवान की सेवा अपने आप हो जाती है। उन्होंने कहा कि यदि गुरु और गोविन्द दोनों एक साथ उपस्थित हो जाये तो सबसे पहले गुरु की वंदना करनी चाहिए। क्योंकि गुरु ने गोविन्द अर्थात भगवान से मिलने का रास्ता बताया है अतः गुरु का दर्जा भगवान से भी ऊँचा होता है।
महाराज श्री ने कहा कि गुरु का पूजन केवल एक गुरु पूर्णिमा के दिन करने से नहीं बल्कि गुरु के उपदेशों को मानना ही गुरु पूजन हो जाता है। गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजनशलाका से निवारण कर देता है। अर्थात दो अक्षरों से मिलकर बने ‘गुरु’ शब्द का अर्थ प्रथम अक्षर ‘गु का अर्थ- ‘अंधकार’ होता है जबकि दूसरे अक्षर ‘रु’ का अर्थ- ‘उसको हटाने वाला होता है. संत तुलसीदास ने कहा है कि ‘गुरु विन भवनिधि/ तरई न कोई। जो बिरंचि संकर सम होई ।।’ अर्थात- गुरु की कृपा प्राप्ति के बगैर जीव संसार सागर से मुक्त नहीं हो सकता चाहे वह ब्रह्मा और शंकर के समान ही क्यों न हो। इस अवसर पर 11 लोगों ने मंत्र दीक्षा ली साथ ही हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण की। मौके पर रविलाल, विनीता दीदी, लालजी, नीतीश सिंह, रामकृपाल सिंह, नंद बिहारी, पिंटू, जयशंकर तिवारी, बच्चा जी, रागनी, अंकिता, गीता, अनीश, अनिमेष, रामु जी, प्रवीण समेत अन्य भक्त मौजूद रहे।









