पूर्व से तय 65 प्रतिशत आरक्षण लागू करने की मांग को लेकर राजद ने दिया धरना
दलितों, अति पिछड़ों, पिछड़ों और आदिवासियों के आरक्षण विरोधी है एनडीए सरकार : शेषनाथ सिंह




न्यूज़ विज़न। बक्सर
बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के शीर्ष नेतृत्व द्वारा निर्देशित कार्यक्रम के तहत बृहस्पतिवार को शहर के स्टेशन रोड स्थित नगर भवन के सामने 65% आरक्षण की मांग लेकर एक दिवसीय धरना दिया गया। जिसकी अध्यक्षता जिलाध्यक्ष शेषनाथ सिंह किया जबकि संचालन जिला प्रधान महासचिव धनपति चौधरी किया।









धरना को सम्बोधित करते हुए जिलाध्यक्ष शेषनाथ सिंह ने कहा कि बिहार में जब राष्ट्रीय जनता दल के साथ महागठबंधन की सरकार नीतीश कुमार के नेतृत्व में बना था तब तत्कालीन उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के पहल पर बिहार में जाति आधारित सर्वे कराया गया। और 2अक्टूबर 2023 को जाति आधारित जनगणना के सर्वे को प्रकाशित कर 9 सितम्बर 2023 को तत्काल प्रभाव से बिहार में आरक्षण की सीमा को 65%तक बढ़ा दिया गया। उसके बाद इसे संविधान की 9वीं अनुसूची मे शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेज दिया गया। लेकिन दलितों, अति पिछड़ों, पिछड़ों और आदिवासियों के आरक्षण के धुर विरोधी भाजपा सरकार ने एक साल बाद भी अभी तक इसे स्वीकृति नहीं किया। 65% आरक्षण सीमा को 9वी अनुसूची में नही डालने से आरक्षित वर्गों को लाखों पदों पर नौकरी का नुकसान हो रहा है। अगर एनडीए सरकार 65%आरक्षण सीमा का समर्थन नहीं करती है तो इसका सीधा अर्थ है की 65%आरक्षण के अनुसार सरकारी नौकरियों मे आरक्षित वर्गों को 16% कम नौकरी मिलेगी। इसके लिए सीधे नितीश सरकार दोषी है। जेडीयू के बल पर यह केंद्र सरकार चल रही है लेकिन अब मुख्यमंत्री सहित पार्टी मे नैतिक और वैचारिक साहस नहीं है कि बाबा साहब अम्बेडकर राव के आरक्षण विरोधी केंद्र सरकार को इसे 9 वी अनुसूची में शामिल करने पर मजबूर कर सके।




बिहार प्रदेश महासचिव निर्मल कुमार सिंह कुशवाहा ने कहा कि भाजपा सरकार के लोगो ने पिछले दरवाजे से 65%आरक्षण को सीमा को निरस्त करवा दिया है। हमारी मांग है कि बिहार सरकार पुनः एक नया विधेयक लाकर इस की सभी वर्गो को 85%(75+10)तक आरक्षण बढ़ाए। और 9वी अनुसूची मे सम्मिलित करने का प्रस्ताव एनडीए की केंद्र सरकार के पास भेजे। झुग्गी झोपड़ी के प्रदेश अध्यक्ष संतोष भारती ने कहा कि तत्कालीन उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने 2020 के विधानसभा चुनाव में जो जातीय जनगणना कराने का वादा किया था उसके अनुसार सरकार पर दबाव बना कर जातीय जनगणना कराया। और आरक्षण की सीमा को 65% बढ़ाया। जब यह मामला कोर्ट में चल रहा था तब नीतीश कुमार की सरकार अपना पक्ष कोर्ट में गंभीरता से नहीं रखा l कोर्ट में लड़ाई ठीक से नहीं लड़ने के चलते उच्च न्यायालय ने इस पर रोक लगा दिया। लेकिन राष्ट्रीय जनता दल ने सर्वोच्च न्यायालय में पिटीशन दाखिल किया हैं । वंचित लोगो को जब तक हक नहीं मिलेगा तब तक राष्ट्रीय जनता दल लड़ाई लड़ते रहेगा। आरएसएस और भाजपा मध्य कालीन व्यवस्था लागू कर धर्म के आधार पर वर्गीकरण कर दलितों बहुजनो और आदिवासियों को निचले पायदान पर ला कर रखना सरकार का उद्देश्य है।
इस कार्यक्रम में वरिष्ठ गणपत मंडल, जिला मीडिया प्रभारी हरेंद्र कुमार सिंह, इफ्तिखार अहमद, सत्येन्द्र यादव,अखिलेश सिंह, सत्येन्द्र आजाद, पूजा कुमारी, चंदा बेगम, शारदा यादव, उमाशंकर सिंह, शिव बचन सिंह, धर्मराज चौहान, ददन पासवान, रामप्रवेश यादव, नागेन्द्र सिंह, मनोज ठाकुर इस्लाम अंसारी, सरोज राजभर, कृष्णावती देवी, बिहारी चौहान, आनन्द रंजना, प्रतिमा यादव, प्रेम खावर, मनीष मौर्य, अजीत राय, ओमप्रकाश माली, ददन सिंह, आलोक जायसवाल, बबलू यादव, सिया राम राय, भरत राय, गोविन्द प्रधान, गौरी शंकर यादव, ललन कुशवाहा, रामाशंकर कुशवाहा, दशरथ चौहान जवाहर पासवान, विनोद यादव, मनन श्रीवास्तव, अखिलेश पासवान, रानी पासवान, मेराज खान, साबिर शाह, अर्जुन यादव समेत सैकड़ों नेता व कार्यकर्ता उपस्थिति रहे।
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