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संविधान दिवस पर बिहार राज्य अनुसूचित जाति जनजाति कर्मचारी संघ द्वारा आंबेडकर चौक पर आयोजित हुआ कार्यक्रम 

हमारे देश के आदर्शो, उद्देश्यों और मूल्यों का संचित प्रतिबिंब है हमारा संविधान 

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 

रविवार को बिहार राज्य अनुसूचित जाति जनजाति कर्मचारी संघ के तत्वाधान में संविधान दिवस के मौके पर  सर्वप्रथम बाबा साहब भारत रत्न डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के पश्चात संविधान दिवस के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किया गया।

 

कार्यक्रम का शुभारम्भ संविधान का प्रस्तावना सामूहिक रूप से पढ़कर किया गया। तत्पश्चात संविधान पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता हीरालाल राम के द्वारा की गई। जबकि मंच संचालन संयुक्त रूप से सचिव रमेश चंद राम और महेंद्र राम द्वारा किया गया।

हमारे देश के लोकतंत्र को संचालित करने वाली धर्म ग्रंथ का नाम है भारतीय संविधान : रामबचन बौद्ध 

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व अध्यक्ष राम बच्चन बौद्ध ने कहा की हमारे देश के लोकतंत्र को संचालित करने वाली धर्म ग्रंथ का नाम है भारतीय संविधान। भारतीय संविधान में देश के सभी समुदायों और वर्गो के हितों को देखते हुए विस्तृत प्रावधानों का समावेश किया गया है। समय-समय पर इसमें बदलाव भी किया गया। इसी का परिणाम है कि आजादी के 77 वर्षो के बाद भी हमारा संविधान एक जीवंत और सतत क्रियाशील बना हुआ है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान को संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को ग्रहण किया था और 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। किंतु कुछ अंशों को 26 नवम्बर के दिन से आत्मसात कर लिया गया था। इसके जनक बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के अथक प्रयासों से ही भारत का संविधान राजनीतिक व्यवस्था का बुनियादी ढाचा निर्धारित करता है। यह हमारे देश के आदर्शो, उद्देश्यों और मूल्यों का संचित प्रतिबिंब है। हमारा संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है,जो तत्व और मूल भावना के नजरिए से अद्वितीय है। हम सभी को जीवन पर्यंत इसका सम्मान करना चाहिए।

 डॉ अंबेडकर द्वारा देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद वा प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू को सौंपा गया था संविधान : गणपति मंडल    

वरिष्ठ अधिवक्ता गणपति मंडल ने कहा कि 26 नंवबर 1949 को भारत का संविधान डॉ अंबेडकर द्वारा देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद वा प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू को सौंपा गया व तत्कालीन सरकार द्दारा इसे अंगीकृत किया गया, इस कारण प्रतिवर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है।

 

 

कार्यक्रम में सेवा निवृत प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी जनार्दन राम, अखिलेश सिंह, शारदा बौद्ध, ललित जियुत, रमाकांत राम, जनार्दन कुशवाहा, जगदीश राम, राम नरेश राम, जुनेद आलम, सुरेंद्र राम, सुशीला देवी, रंजना भारती, आशा देवी, शांति देवी, अनुग्रह कुमार, कुलश्रेष्ठ चौधरी, पारस राम, वीरेंद्र कुमार, संजना प्रिया, सुशील कुमार, क्रेनियल कुमा,र मुकेश कुमार, आदिमानंद राम, सामाजिक कार्यकर्ता शिवकुमार सिंह, श्री राम राम, ओंकार नाथ राम, मोती कुमार दिनकर, अमित कुमार, चंदन राम, बच्चा मुनीराम आदि ने भी अपनी बातों को रखा। अंत में हीरालाल राम द्वारा अध्यक्षीय भाषण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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