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इस्कॉन पटना द्वारा पड़री में श्रील प्रभुपाद आश्रम का हुआ भव्य उदघाटन

न्यूज विजन । बक्सर
इस्कॉन विस्तार केंद्र, पड़री में श्रील प्रभुपाद आश्रम का उदघाटन समारोह में संपन्न हुआ। पावन वैदिक शिक्षा स्थली में इस्कॉन द्वारा भूमि अर्जित की गई है जिसमें श्रील प्रभुपाद आश्रम का निर्माण हो चुका है। जिसका उद्घाटन इस्कॉन पटना के अध्यक्ष श्रीकृष्ण कृपा दास, काराकाट के पूर्व विधायक सह क्रीड़ा भारती के प्रदेश सचिव राजेश्वर राज, इस्कॉन बक्सर के प्रबंधक राजा गोविंद दास, इस्कॉन के परामर्श दात्री समिति के सदस्य डॉ रमेश कुमार एवं रोहतास गोयल की उपस्थिति में इस्कॉन के क्षेत्रीय सचिव देवकी नंदन दास के कर कमलों द्वारा किया गया।
उदघाटन समारोह में इस्कॉन पटना से आए समर्पित भक्तों द्वारा सुंदर कीर्तन की प्रस्तुति देकर पूरे वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया गया। इस माहौल में उपस्थित भक्तों ने खूब आनंद लिया। उद्घाटनकर्ता देवकीनंदन दास जी ने अपने प्रवचन में सभी भक्तों को सनातन धर्म एवं संस्कृति के प्रति समर्पण भाव से कार्य करने एवं भौतिक जीवन में भौतिक सुख की जगह सत्य, तपस्या, दया एवं स्वच्छता इन चार चीजों का पालन करने को कहा। उन्होंने कहा कि इन चार चीजों का पालन करने वाला धार्मिक कहलाता है और वही मनुष्य है। उन्होंने कहा कि मानव को मांस, मदिरा धूम्रपान, शराब इत्यादि का सेवन करना उचित नहीं है। जुआ, पराई स्त्री और पराए पुरुष से संबंध यह सब अपराध है पाप है। विवाह एक धार्मिक अनुष्ठान है। अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत एक अवसर प्रदान करता है। धर्म प्रचार- प्रसार का केंद्र है। कथा श्रवण से पाप से मुक्ति मिलती है।
श्री कृष्ण कृपा दास ने कहा कि सामाजिक एवं आध्यात्मिक पुनरुत्थान की कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का संचालन इस्कॉन द्वारा किया जाता है। स्वागत भाषण राजा गोविंद दास ने किया। राजेश्वर राज ने कहा कि भारतीय संस्कृति को मजबूती प्रदान करते हुए एवं अपने जीवन में इसे आत्मसात् करते हुए राष्ट्र को परम वैभव तक पहुंचाया जा सकता है। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डॉ रमेश कुमार ने कहा की वैदिक गुरुकुल, आदर्श गौशाला, कृषि फार्म, प्राकृतिक चिकित्सा, श्रीमद्भगवद्गीता वितरण, फूड फॉर लाइफ जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से इस्कॉन देश और विदेशों में जन जन तक कृष्णभावनामृत को यथारूप पहुंचाने की व्यवस्था करता है। मौके पर सैकड़ों भक्तों ने उपस्थित होकर सभी कार्यक्रमों का आनंद लिया और अंत में स्वादिष्ट प्रसाद प्राप्त कर इस्कॉन मंदिर भी जल्द बने इसका भी जयघोष किया।

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